भारत जैसे विशाल देश में अनेकों तीर्थ हैं, जहाँ भक्ति की पावन गंगा बहती रहती है। इन पवित्र तीर्थों में देवभूमि उत्तराखंड का ‘कैंची धाम’ भी एक है।
हिमालय की सुंदर वादियों के बीच नैनीताल-अल्मोड़ा मार्ग पर स्थित अद्भुत नीम करौली बाबा आश्रम जोकि लोगों के मध्य कैंची धाम नाम से प्रसिद्ध है। इस आश्रम की स्थापना 1964 में बाबा करौली ने की थी। ये लंबे समय से लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
आपको बता दें कि अपनी महिमा से लुभाने वाला ये आश्रम कोई साधारण आश्रम नही है। इसका कारण ये है कि प्रधान मंत्री मोदी हों या फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग, हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स हों या एपल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ये सभी हस्तियां इस आश्रम में दर्शन के लिए आ चुके हैं।
हनुमान मंदिर का वातावरण बहुत ही शांतिपूर्ण और मनमोहक है। बाहरी दुनिया से अछूता ये आश्रम अनेकों नाम से विख्यात है। चमत्कारी बाबा आश्रम कहो या बाबा नीम करौली आश्रम।
आखिर कौन हैं बाबा नीम करौली :
10वीं सदी के महान संतों में से एक बाबा नीम करौली न तो गले में कंठी पहनते थे और न ही उनके माथे पर तिलक होता था।
लोगों का मानना है कि बाबा नीम करौली बजरंगबली के भक्त थे और अपने जीवन में उन्होंने अनेकों अविश्वनीय चमत्कारी किये। 17 वर्ष की आयु से भगवत परिचय प्राप्त कर लेने वाले बाबा नीम करौली ने अपने सम्पूर्ण जीवन में लगभग 108 आश्रम बनवाये।
जिनमे कैंची धाम और अमेरिका के न्यू मैक्सिको सिटी स्थित टाउस आश्रम है। नीम करौली बाबा को लोग हनुमान जी का अवतार कहते है। बाबा किसी को भी अपने चरणों को स्पर्श नहीं करने देते थे वे कहते थे कि आप हनुमान जी के चरण स्पर्श करें। करौली बाबा को कैंची आश्रम अत्यंत प्रिय था। वे ग्रीष्म ऋतु में यहाँ आया करते थे।
क्या है मान्यता?
ऐसी मान्यता है कि बाबा नीम करोली को हनुमान जी की भक्ति के द्वारा कई सिद्धियां प्राप्त हुई जिसके चलते हैं यह कई चमत्कार कर सकते थे। कई लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं।
आपको बता दें बाबा आडंबरों से दूरी बनाए रखते थे। ना तो आपको उनके माथे पर कोई तिलक दिखाई देगा और ना ही गले में कंठी माला। उन्होंने एक आम आदमी की तरह अपना जीवन जिया। यही नहीं वो अपने पैर भी किसी को छूने नहीं देते थे और यदि कोई कोशिश करता था तो उसे हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे।
बाबा नीम करोली पर लिखी गई पुस्तकें:
लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने मिरेकल आफ लव नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है। रिचर्ड अल्बर्ट भी बाबा के भक्तों में से एक है। इसके अलावा
सुधीर मुखर्जी तभी बाबा की और एक आत्मीय लगाव रहा है। यही कारण है कि उन्होंने बाबा के जीवन पर केंद्रित कर पारस स्पर्श पुस्तक लिखी जिसमें बाबा से जुड़ी कई स्मृतियां उन्होंने सहेजी हुई हैं।
मिलता है मनोवांछित फल:
विदेशो में भी अपने चमत्कारों से चर्चा का विषय बना ये अद्भुत आश्रम मनोवांछित फल प्रदान करता है। कहते है की यहाँ हर मुराद पूरी होती है। यहाँ आया कोई भी भक्त खाली हाथ नही जाता है।
धन संपन्न हो या आम मनुष्य सभी बाबा के भक्त है। देश विदेश से लोग यहाँ बजरंगबली के दर्शन करने आते है।
पूरे दिन किया जाता है हनुमान चालीसा का पाठ :
आश्रम में अन्य कोई नियम नहीं है बस प्रतिदिन सुबह-शाम प्रार्थना और हनुमान चालीसा का पाठ होता है। आश्रम में प्रतिदिन शुद्ध शाकाहारी भोजन पकाया जाता है। श्री मा आश्रम की देख रेख करते है, जो करौली बाबा के शिष्य है। श्री मा अक्सर पहाड़ियों पर ध्यान के लिए चले जाते है उनकी अनुपस्थिति में आश्रम का संचालन नहीं होता।
होता है समारोह:
समुद्र तल से 1400 किलोमीटर ऊंचाई पर स्थित इस आश्रम में हर साल 15 जून को दिव्य आयोजन होता है। जिसमें भक्तों की विस्तृत भीड़ देखने को मिलती है।
इस आयोजन में बहुत बड़ा मेला लगता है और भंडारा होता है। लोगों के अनुसार ,एक बार भंडारे में घी खत्म हो गया था तब बाबा ने नदी से जल लाने को कहा और देखते ही देखते पात्र में भरा जल घी बन गया था।
इसी तरह एक बार बहुत गर्मी से अपने भक्तों को राहत पहुँचाने के लिए बाबा नीम करौली महाराज ने बादलों की छाया कर दी थी। ऐसे न जाने कितने चमत्कारों के साक्षी अनेकों लोग बन चुके हैं।
कैसे पहुंचे नीम करौली आश्रम:
▪️ अगर आप हवाई यात्रा के माध्यम से नीम करौली आश्रम पहुंचना चाहते हैं तो आपको पंतनगर उतरना होगा वही पंतनगर एयरपोर्ट से ये जगह की दूरी करीबन 79 किलोमीटर है।
▪️ अगर आप यहां ट्रेन के माध्यम से पहुंचना चाहते हैं तो पहले आपको काठगोदाम रेलवे स्टेशन पहुंचना होगा। वहां से नीम करौली की दूरी करीब 43 किलोमीटर है।
▪️ वहीं अगर आप सड़क द्वारा कैंची धाम पहुंचना चाहते हैं तो इस जगह की नैनीताल से दूरी लगभग 17 किलोमीटर और भवाली से करीब 9 किलोमीटर है।
कैंची धाम एक अत्यंत भव्य जगह है और खासकर नीम करोली बाबा के भक्तों के लिए उनके आशीर्वाद से परिपूर्ण जगह। उत्तराखंड में स्थित चमत्कारी जगह जिसके हजारों लाखों लोग साक्षी रहे हैं, एक भव्य अनुभव भी है। जहां शांति में बैठ ईश्वर की आराधना कर मन को शान्ति प्राप्त होती है।