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देवभूमि में तैयार होने जा रहा है नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और सुरई रेंज, जो निभाएगा बाघों के संरक्षण में मुख्य भूमिका

देवभूमि उत्तराखंड स्वयं में ही सौंदर्य व प्रकृति की अनमोल देन है। यहां का हर क्षेत्र भारतीय संस्कृति की अनमोल छटा है। प्रकृति ही नहीं बल्कि प्रकृति का ही एक हिस्सा कहे जाने वाले जीव जंतु, पशु पक्षियों आदि के संरक्षण में भी उत्तराखंड की भूमि सदा कार्यशील रहती है। हमारे देश का राष्ट्रीय पशु बाघ की संख्या को सुरक्षित करने में उत्तराखंड ने सदा अहम भूमिका अदा की है।

बाघ की प्रजाति को संरक्षण देने में अग्रणी उत्तराखंड राज्य में दो नए टाइगर रिजर्व स्थापित किए जाने की अनुमति मिल चुकी है। यह दो नए प्रस्तावित टाइगर रिजर्व के नाम हैं – नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और सुरई रेंज। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद वन विभाग द्वारा इन दोनों नए टाइगर रिजर्व का तैयार हुआ।

आइए आज हम अपने इस लेख के माध्यम से आपको बताते हैं उत्तराखंड में स्थापित दो नए टाइगर रिजर्व नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और तराई पूर्वी वन विभाग में सुरई रेंज के विषय में संपूर्ण महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले हैं।

दरअसल, उत्तराखंड में बाघों की संख्या में लगातार इजाफा देखा गया है। साल 2015 में उत्तराखंड की भूमि पर जहां अखिल भारतीय बाघ आकलन में 340 बाघों की संख्या परिलक्षित हुई थी, वहीं इसके साथ ही साल 2017 में बाघों की इस संख्या में इजाफा हुआ और आकलन में कुल 361 बाघों की संख्या परिलक्षित हुई थी। आपको बता दें, यह आंकड़े केवल कॉर्बेट नेशनल पार्क तथा राजाजी टाइगर लैंडस्केप के आस पास के 12 वन प्रभागों का आंकड़ा है।

बाघों की बढ़ती संख्या को देखते हुए उत्तराखंड राज्य में दो नए टाइगर रिजर्व बनवाने का विचार भी किया गया। जिसके तहत साल 2016 में स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में हल्द्वानी, तराई पूर्वी तथा चम्पावत वन प्रभागों के क्षेत्रों को मिलाकर नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को नया रूप देने के विचार किया गया। इसके साथ ही उत्तराखंड राज्य में स्थिति बफर जोन सुरई रेंज (तराई पूर्वी वन प्रभाग) को टाइगर रिजर्व में तब्दील करने का प्रस्ताव आया। फिर इसे एनटीसीए (NTCA) को भेज दिया गया।

इसके बाद साल 2017 में नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और सुरई रेंज (तराई पूर्वी वन प्रभाग) को टाइगर रिजर्व बनवाने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई। इसके साथ ही दोनों टाइगर रिजर्व की पृष्टभूमि उचित रूप से तैयार करने का फैसला लिया गया। नंधौर टाइगर रिजर्व के लिए 270 वर्ग किमी कोर और 578 वर्ग किमी क्षेत्र बफर जोन में रखा गया।


वहीं, सुरई टाइगर रिजर्व में तराई पूर्वी वन प्रभाग की सुरई, खटीमा, किलपुरा रेंज के हिस्सों को सम्मिलित किया गया। इस टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 237 वर्ग किलोमीटर का रखा गया। यह भी निर्णय लिया गया कि जनता के राय पर इन दोनों टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल का विस्तार कम या अधिक भी किया जा सकता है।

Nandhor wildlife Sanctuary( नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी )

नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित है, जिसका कुल क्षेत्रफल 269.95 है। उत्तराखंड में स्थापित यह नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी साल 2012 में निर्मित हुआ था। यह तराई वन प्रभाग में स्थित है जो कि जंगली एरिया है। जिसकी रेखाएं उत्तराखंड से शुरू होकर नेपाल पर समाप्त होती हैं।

नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी शिवालिक एलिफेंट रिजर्व का एक हिस्सा माना गया है। वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने 2004 में नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को बाघ सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण दर्जे का रूप दिया है।

नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में अलग-अलग प्रकार के पेड़ मौजूद हैं जिनमें शीशम, बरगद और 100 अन्य पेड़ों की प्रजातियां हैं। यहां पर घास की भी अलग-अलग किस्म हैं। नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी 250 पशु पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं, 15 स्तनधारी जीव जंतु की प्रजाति पाई जाती है, 20 प्रकार की मछलियों की विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं।

इसके साथ ही यहां पर 25 प्रकार के अनेक जीव जंतु पाए जाते हैं। जिनमें बाघ, हाथी, साउथ बियर आदि सम्मिलित हैं।

Surai range ( सुरई रेंज )

खटीमा क्षेत्र में स्थित सुरई रेंज का जंगली एरिया लगभग 180 किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है। यह पूर्व में शारदा बोर्ड डेम से घिरा हुआ है, पश्चिम में खटीमा नगर से, उत्तर में मेलघाट रोड से और दक्षिण में पीलीभीत टाइगर रिजर्व से घिरा हुआ है। यहां पर जीव जंतु की 125 प्रजातियां मौजूद हैं, जिनमें बाघ, शेर इत्यादि शामिल हैं। इसके साथ ही यहां पर 150 प्रजातियां पक्षियों की पाई जाती है। इसके अलावा जंगल में स्तनधारी जीव की भी 20 प्रजातियां मौजूद हैं।

सुरई रेंज को विकसित करने के लिए यहां एक 40 किमी की जंगल सफारी की भी शुरुआत की गई है। इस जंगल सफारी में यात्री वाहन में बैठकर जंगल के जीव जंतुओं का आनंद लेते हैं। यात्री यहां पर जंगली जानवरों में बंगाल टाइगर, पंगोलियन, सांभर आदि के दर्शन का आनंद उठाते हैं। यह जगह प्रकृति प्रेमियों के लिए बेहद खास है

फिलहाल एनटीसीए ने नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को राज्य में तीसरा टाइगर रिजर्व बनाने की सिफारिश पेश की है। इसके अलावा इसे उत्तराखंड वन विभाग द्वारा जिम कॉर्बेट पार्क की तर्ज पर विकसित किए जाने का निर्णय लिया गया है।

चूंकि यहां पर जीव जंतुओं, पशु पक्षियों आदि की काफी महत्वपूर्ण प्रजातियां मौजूद है, इसलिए यहां पर्यटकों की संख्या में तेजी लाई जा सकती है। पहले यहां पर्यटकों के आने की गिनती 100 संख्या में की जाती थी। लेकिन जैसे जैसे यहां विकास हो रहा है पर्यटकों की संख्या में भी वृद्धि देखी जा रही है। 

इसी उद्देश्य से यहां जंगल सफारी की भी शुरुआत की गई थी। अब इन दोनों ही वनों को टाइगर रिजर्व के रूप में शामिल करने का प्रयास जारी है। ताकि बाघों को उचित संरक्षण मिल सके तथा पर्यटकों की संख्या में तेजी आ सके।

आशा करते है आपको यह ज्ञानवर्धक जानकारी अवश्य पसंद आई होगी। ऐसी ही अन्य धार्मिक और उत्तराखंड संस्कृति से जुड़ी पौराणिक कथाएं पढ़ने के लिए हमें फॉलो करना ना भूलें।

featured image: chardhamtours

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