उत्तराखंड राज्य के किसी भी स्थल की बात की जाए, सभी बेहद खूबसूरत है। सभी स्थानों पर प्रकृति ने अपनी अलग ही छटा बिखेर रखी है। जो भारत के किसी और राज्य में देखने को नहीं मिलती। चाहे वो बर्फीली पहाड़ियां हो, हिमालय से निकलती हुई पवित्र नदियां हो, झरने, सरोवर, मंदिर, रहस्यमयी गुफाएं, तथा फूल के बगीचे हर चीज में उत्तराखंड नंबर वन है।
घूमने के लिए इससे उत्तम स्थान और कोई हो ही नहीं सकता। एक बार उत्तराखंड जा कर तो देखिए फिर वहां से दोबारा वापस आने का मन ही नहीं होता। ऐसा लगता है बस वही बस जाएं और वहां की हसीं वादियो में बस यूं ही घूमते रहे।
वहां का वातावरण इतना शुद्ध, इतना पवित्र है। यदि आप अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से थके हारे बैठे हैं, और कहीं लंबी छुट्टी पर जाना चाहते हैं, तो उत्तराखंड से बेहतर स्थान और कोई हो ही नहीं सकता है। वहां जाकर आप पूरी दुनिया को भूल जाएंगे। आपका वहां एक नई ताजगी को महसूस करेंगे।
बहती नदियां, चटकती हुई कलियां, चहकते हुए पक्षी, पहाड़ियों से सुगंध लेकर हमारे बदन को स्पर्श करती हुई वायु, जो पूरे शरीर में एक रोमांच सा पैदा कर देती है,अद्भुत है।
हर्षिल: उत्तराखंड का मिनी स्विट्जरलैंड (Harshil)

जैसा कि उत्तराखंड के विषय में तो हम सभी जानते ही हैं। अब बात करते हैं उत्तराखंड में बसे यहां के मिनी स्विट्जरलैंड की जी हां उत्तराखंड में एक ऐसा स्थान है, जिसका नाम है हर्षिल, जिसे भारत का अपना स्वीटजरलैंड कहा जाता है। हर्षिल, हिमालय की तराई में बसा हुआ एक गांव है।
हिमालय कि गगन चूमती हुई चोटियों की बाहों में 7860 फीट की ऊंचाई पर बसे इस हर्षिल गांव को भारत का मिनी स्विट्ज़रलैंड कहा जाता है।
यहां की खूबसूरत वादियां, देवदार के घने जंगल, चारों ओर फैली बेशुमार सुंदरता, रंग-बिरंगे खिले हुए फूल, हिमनद के बीच शांति से बहती भागीरथी गंगा नजर आती हैं। जहां आप यदि एक बार चले गए तो यहां की खूबसूरती आपको अपनी ओर खींच लेगी।
वहां पहुंच कर आपको ऐसा लगेगा जैसे कि किसी सपने की दुनिया में आ गए हों। जिन लोगों को पहाड़ पसंद हैं, उनके लिए यह स्थान किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यहां की फिजाओं में एक अलग ही ताजगी का एहसास होता है।
फूल किसे नहीं पसंद होते हैं। फूल, जो अपने भांति-भांति के रंगों और अपनी मनमोहक सुगंध से सभी के मन को हर्षित कर देते हैं। और यदि ये ही फूल हिमालय की तलहटी में सुंदर घाटियों में हो, तो फिर तो बात ही क्या है। हर्षिल की घाटियों में आप हिमालयी फूलों की दुनिया से रूबरू होंगे।
जी हां हर्षिल में फूलों की सुंदर-सुंदर घटिया हैं। जो हिमालय से ठीक नीचे हिमालय की तलहटी में है फैली हुई हैं, तथा अपनी सुंदरता से वहां जाने वाले सभी लोगों का मन चुरा लेती है।
हर्षिल गांव की स्थिति

हर्षिल गांव उत्तराखंड के गढ़वाल रीज़न के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। जोकि गंगोत्री से केवल 21 किलोमीटर की दूरी पर है। गंगोत्री, गंगा नदी का उद्गम स्थान है। जो हिंदुओं के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। हर्षिल में जलद्री नदी तथा भागीरथी नदी के संगम तट पर एक प्राचीन हरि मंदिर स्थित है।
हर्षिल गांव का इतिहास
हर्षिल गांव की खोज ईस्ट इंडिया कंपनी में कार्यरत अंग्रेज फेड्रिक विल्सन ने की। यह स्थान उन्हें इतना पसंद आया कि वे अपनी नौकरी को छोड़कर इसी जगह पर रहने लगे तथा यहीं की एक पहाड़ी लड़की से उन्होंने शादी कर ली। और हमेशा के लिए हर्षिल के जी हो गए।
फेड्रिक विल्सन ने हर्षिल से सेब का सबसे पहला पेड़ ले जाकर इंग्लैंड में लगाया था। तब से इंग्लैंड में भी सेब की खेती तथा व्यापार होने लगा। विल्सन नाम की सेब की एक प्रजाति है, जो आज भी हर्षिल में बहुत प्रसिद्ध है। फेड्रिक विल्सन ने ही हर्षिल को स्विट्जरलैंड की उपाधि दी थी।
हर्षिल की विशेषता
हिमालय को आच्छादित करते हुए पर्वत, दूर तक फैले हुए देवदार तथा चिनार के घने जंगल, निर्झर झरने, उसके नीचे से जोरों शोरों से बहती हुई भागीरथी गंगा की अविरल तथा पवित्र धारा, तथा बेहतरीन सड़कें जो आपको आपकी मंजिल तक पहुंचती हैं।
हिमालय की तलहटी में वहां की घाटियों में खिले हुए अनेकों प्रकार के सुंदर-सुंदर, रंग-बिरंगे फूल जो अपनी अद्भुत सुगंध से सभी का मन मोह लेते हैं। हर्षिल में हमें प्राकृतिक रंगों की ऐसी छटा देखने को मिलती है जिसकी हम कभी कल्पना भी नहीं कर सकते।
वहां की दूर-दूर तक विस्तृत घाटियां ऐसे प्रतीत होती हैं मानो ईश्वर ने अपने हाथों से रुचकर बनाई हों।यहां पर सेब की खेती होती है। यहां के सेब बहुत ही मशहूर है। इनमें एक अलग ही स्वाद होता है। आप जब भी हर्षिल जाएं तो वहां के सेब का स्वाद जरूर चखें।
हर्षिल में घूमने के स्थान
- हर्षिल वैसे तो देखने में एक छोटा सा स्थान है किंतु जब आप वहां घूमने जाएंगे तो घूमने के हिसाब से ये एक बहुत बड़ी जगह है। यहां पर कई ऐसे स्थान है जो धार्मिक स्थल के साथ-साथ रोमांचक भी हैं। जहां आप चाहे तो अपने परिवार के साथ, दोस्तों के साथ, या फिर आप अकेले भी घूमने जा सकते हैं।
- गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान: यह उद्यान हर्षिल से लगभग 30 किलोमीटर दूरी पर भागीरथी नदी के ऊपरी बेसिन क्षेत्र में स्थित है। इस स्थान को अल्पाइन के पेड़ों, संकरी घाटियों तथा हिमनदों के कारण पहचाना जाता है। गौमुख हिमनद भी इसी बेसिन क्षेत्र में आता है। ये हिंदू आस्था का प्रमुख केंद्र है। इस स्थान पर पशुओं की 15 तथा पक्षियों की डेढ़ सौ प्रजातियां पाई जाती हैं।
- गंगोत्री धाम: उत्तराखंड के चार धामों में से एक धाम गंगोत्री है। ये धाम हर्षिल से लगभग 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर गंगा जी की प्रतिमा से युक्त एक गंगा जी का मंदिर है।
- धराली गंगोत्री: ऐसा माना जाता है कि गंगाजी को पृथ्वी पर लाने के लिए भगीरथ जी ने इसी स्थान पर तपस्या की थी। धराली गंगोत्री में भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर भी स्थित है।
- मुखवास ग्राम: इस स्थान को मां गंगा का घर माना जाता है। ये स्थान हर्षिल से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक सुंदर गांव है। दीपावली से 2 दिन बाद गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के पश्चात गंगा जी को इसी मंदिर में विराजमान किया जाता है।
- सत्तल (सात झीलों का समूह): हर्षिल से थोड़ी ही दूरी पर एक सत्तल नामक जगह है। इस स्थान पर सात झीलों का समूह है। इन झीलों को लोग पन्ना, नलदमयंती ताल, राम, सीता, लक्ष्मण, भरत सुक्खा ताल और ओक्स नाम से जानते हैं। हर्षिल से ये स्थान लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- गंगनानी: इस स्थान को गंगा जी का ननिहाल माना जाता है। तथा वर्ष में एक बार गंगा जी अपनी नानी के घर आती हैं। यहां एक गर्म पानी का कुंड भी है।
अब इससे अधिक और क्या ही कहा जाए इस स्थान के बारे में क्यूंकि हम जितना कहेंगे उतना ही कम होगा। बेहतर यही होगा कि आप स्वयं यहां जाकर यहां की खूबसूरत वादियों का आनंद लें। और फिर स्वयं निर्णय लें की यह बातें कितनी सत्य हैं।
क्या वाकई में हर्षिल इतना खूबसूरत है, जो वहां जाने वाले उसकी ओर आकर्षित हो जाते हैं। जहां के सुंदर-सुंदर फूलों की घाटियां सभी का मन चुरा लेती हैं। देखने में कितना अद्भुत होगा वो दृश्य जिसे सुनकर ही रोमांच हो रहा है। आखिरकार एक बार तो जाना ही चाहिए, हर्षल की हसीं वादियो में।
जानिए तीर्थनगरी ऋषिकेश को क्यों कहते हैं- Yoga capital of the world:-
Featured image: Firstpost