उत्तराखंड की खेल प्रतिभाएं देश दुनिया में प्रसिद्द है।उत्तराखंड के कुछ खिलाडी दुनिया भर में प्रसिद्धि हासिल कर रहे है। उत्तराखंड में कुछ काम ज्ञात स्थानों से आने वाले कुछ खिलाड़ी दुनिया में युवाओ के लिए अच्छा रोले मॉडल है। इस लेख में हम उत्तराखंड से आने वाले कुछ प्रसिद्द खिलाड़ी व उनके जीवन के बारे में जानेंग।
महेंद्र सिंह धोनी – क्रिकेट

महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट की दुनिया में ऐसा नाम है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। इन्होने कई संघर्ष किये और अपना लक्ष्य प्राप्त किया । यह भारत की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के कप्तान भी रह चुके है, इन्होने कई वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाये है।
इनका जन्म ७ जुलाई १९८१ में झारखण्ड के रांची में एक राजपूत परिवार में हुआ था। इनका उत्तराखंड से गहरा नाता है क्यूंकि वह पर उनका पैतृक गांव अल्मोड़ा जिले के लंगड़ा ब्लॉक के लावली में है। इन्हे किसी विशेष परिचय की आवश्यकता नहीं है। यह भारतीय राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के सबसे पसंदीदा कप्तान है।
धोनी की कप्तानी में भारत ने २००७ आईसीसी विश्व २०-२०, २००७-०८ की सीबी श्रंखला, २०११ आईसीसी क्रिकेट विश्व कप, एशिया कप, और २०१३ आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जीती । धोनी ने भारत को आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में नंबर एक स्थान पर पंहुचा दिया है।
महेंद्र सिंह धोनी ने बहुत से अवार्ड जीते है, उनमें से कुछ है – पद्म श्री अवार्ड, आईसीसी ओाइडी प्लेयर ऑफ़ द ईयर अवार्ड, राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड, इत्यादि । महेंद्र सिंह धोनी को दुनिया में सबसे अधिक भुगतान वाले एथलिटों की सूचि में २३वें स्थान पर है।
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मीर रंजन नेगी – हॉकी

मीर रंजन एक हॉकी प्लेयर है। मीर रंजन का जन्म 1958 में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में हुआ था। शुरू से ही उनकी रूचि हॉकी में थी। वे भारतीय हॉकी टीम के गोलकीपर रह चुके है।
मीर रंजन उस मैच का हिस्सा रह चुके है जिसे १९८२ में भारत को अपने प्रतिद्वंदियों से १-७ के अंतर से हराया था। वह उस मैच में गोलकीपर थे, वह मैच हारने पर देश में सदमे की लहर छा गयी। सभी मीर को पाकिस्तान का एजेंट समझने लगे उनपर देश द्रोह के बहुत से आरोप लगाए गए ।
कुछ लोगों का कहना था की उन्हें गोल करने की अनुमति के लिए पाकिस्तान से पैसे मिले है। ये सारे आरोप बिलकुल बेबुनियाद थे। पर इन सबके चलते उन्होंने हॉकी खेलना ही छोड़ दिया परन्तु फिर उन्होंने १९९८ में भारत की राष्ट्रीय फील्ड हॉकी टीमम के कोच के रूप में वापसी की, इस मैच को भारत ने जीत लिया ।
उन्होंने २००२ में भारत की महिला हॉकी टीम के कोच के रूप में वापसी की और वह २००४ में एशिया कप के समय सहायक कोच रहे जिसे भारत की महिला टीम ने जीता। फिल्म चक दे इंडिया उनके जीवन पर आधारित है।
अभिनव बिंद्रा – शुटिंग

अभिनव बिंद्रा शूटिंग चैंपियन है। अभिनव बिंद्रा का जन्म २८ सितम्बर, १९८२ में दहरादूँन, उत्तराखण्ड में एक पंजाबी सिख परिवार में हुआ था। इन्हे बचपन से ही शूटिंग का बहुत शोक था। इनकी रूचि को देखते हुए इनकी माता-पिता ने उनके घर में शूटिंग रेंज की व्यवस्था कर दी थी जिसमे वे प्रयास किया करते थे।
अभिनव बिंद्रा वो उम्मीद है जिसने बरसों बाद भारत को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाया था। उन्होंने 1998 में कुआलालंपुर में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लिया और भारत को दर्शाया वह खेल में सबसे कम उम्र के प्रतिभागी भी रहे । तब उनकी उम्र मात्र 15 वर्ष थी। 2008 का बीजिंग ओलंपिक्स में अभिनव ने मेन्स 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में 11 अगस्त 2008 को गोल्ड मैडल जीता था।
बचेंद्री पाल – पर्वतारोहण

बचेंद्री पाल को कौन नहीं जानता, वे दुनिया की सबसे ऊँची छोटी “माउंट एवेरेस्ट” पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला तथा दुनिया की ५वीं महिला है जिसने माउंट एवेरेस्ट की ऊंचाई को छुआ है। २०१९ में भारतीय सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया था।
बचेंद्री पाल का जन्म २४ मई १९५४ को उत्तरकाशी के नाकुरी गांव में हुआ था। इनके पर्वतारोही का पेशा अपनाने पर परिवार व रिश्तेदारों के विरोध का सामना भी करना पड़ा। बचेंद्री पाल ने पहली बार ४०० मीटर की चढ़ाई की जब वह १२ वर्ष की थी। वर्ष १९८४ में भारत का चौथा एवरेस्ट अभियान शुरू हुआ था।
बचेन्द्री पाल भी इस अभियान में शामिल थी, उन्होंने २९,०२८ फुट की ऊंचाई पर स्थित सागरमाथा पर सफलतापूर्वक तिरंगा लहराया। और वह माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली विश्व की ५वीं महिला बानी। साथ ही इन्होने अन्य महिलाओं को ही इस तरह के साहसिक अभियानों में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित किया।
मधुमिता बिष्ट – बैडमिंटन

मधुमिता बिष्ट को उत्तराखंड की बैडमिंटन क्वीन कहा जाता है। यह विश्व प्रख्याति है। मधुमिता बिष्ट का जन्म 5 अक्टूबर, 1964 को पश्चिम बंगाल में हुआ था। मधुमिता बिष्ट 1977 में सब जूनियर बैडमिंटन चैंपियन रही और अभी तक आठ बार भारतीय राष्ट्रीय महिला एकल बैडमिंटन का खिताब जीत चुकी हैं। वे ९ बार युगल विजेता और कुल बारह बार मिश्रित युगल चैंपियनशिप जीती है।
१९८२ में उन्हें अर्जुन पुरस्कार तथा २००६ में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इन्होने बैडमिंटन के एकल वर्ग में १९८६ से १९९० तक निरंतर कई ख़िताब जीते है। मधुमिता ने १९९२ में बार्सिलोना ओलिंपिक में भारत का प्रदर्शन किया था और उबेर तथा विश्व कप टूर्नामेंट में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
२००२ में उन्होंने खेल से संन्यास ले लिया। भारतीय रेलवे में एक सरकारी पर्यवेक्षक के रूप में काम किया। और इन्होने भारतीय खेल प्राधिकरण बैडमिंटन अकादमी में भी कार्य किया है।
जसपाल राणा – शूटिंग

जसपाल राणा भारत के एक प्रमुख निशानेबाज़ है। इन्हे भारतीय शूटिंग टीम का ‘टार्च बियरर’ भी कहा जाता है। उन्होंने अनेक प्रतियोगिताएं में भारत के लिए जीत हासिल करके भारत का मान बढ़ाया है। जसपाल राणा का जन्म २८ जून, १९७६ को चिलामू , टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड में हुआ था।
1994 में १८ वर्ष से ही उन्होंने अंतेर्राष्ट्रीय स्तर पर जीतना प्रारम्भ करदिया था। १९९५ में जसपाल राणा ने ८ गोल्ड मैडल जीतकर एक नया रिकॉर्ड कायम किया था। उन्होंने अनेक स्तरों( एशियाई, विश्व कॉमनवेल्थ, राष्ट्रमंडल, व राष्ट्रीय स्तर) पर बहुत से रिकॉर्ड कायम किये है।
उन्हें अर्जुन पुरस्कार, राजधानी रत्न पुरस्कार, यश भार्ती पुरस्कार, इंदिरा गाँधी प्रियदर्शिनी पुरस्कार, इत्यादि से सम्मानित किया गया है। जसपाल राणा ने अंतेर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर ६०० से भी ज्यादा पदक प्राप्त किये है।
उन्मुक्त चंद – क्रिकेट

उन्मुक्त चंद एक ऐसे खिलाडी है जिन्होंने अंडर १९ में अपनी कप्तानी से वर्ल्ड कप भारत को समर्पित किया है। यह अंडर १९ वर्ल्ड कप जीतने वाले तीसरे खिलाडी रहे। उन्मुक्त चंद उत्तराखंड के निवासी है। उन्मुक्त का जन्म २६ मार्च, १९९३ को पिथौरागढ़, उत्तराखंड में हुआ था।
इन्होने दिल्ली में रहकर अपनी शिक्षा प्राप्त की। पढ़ाई के साथ साथ इन्होने क्रिकेट खेलना भी जारी रखा और एक अच्छे खिलाड़ी बनगए। साल २०१० में उन्मुक्त दिल्ली की रणजी टीम में शामिल हुए और बहुत ही अच्छा प्रदर्शन किया। शानदार प्रदर्शन के बाद इनके करियर का ग्राफ बढ़ता चला गया।
२०१९ में उन्होंने दिल्ली की रणजी टीम छोड़ कर उत्तराखंड की रणजी टीम से जुड़ गए। उन्हें यहाँ कप्तान भी बनाया गया परन्तु लगातार ख़राब प्रदर्शन के कारण उन्हें कप्तानी से हटा दिया गया। अंततः उन्होंने २८ वर्ष की उम्र में १३ अगस्त, २०२१ को भारतीय क्रिकेट से सन्यास ले लिया।
चन्द्रप्रभा अटवाल – पर्वतारोहण

चन्द्रप्रभा एक प्रसिद्ध पर्वतारोही है जिन्होने कई देशों में पर्वतारोहण किया है। चन्द्रप्रभा का जन्म २४ दिसम्बर १९४१ को पिथौरागढ़, उत्तराखंड में हुआ था। चन्द्रप्रभा एक ऐसी महिला है जो ३२ चोटियों और तिरंगा फहरा चुकी है। वर्ष १९७२ में उन्होंने पर्वतारोहण का बेसिक और १९७५ में एडवांस कोर्स किया।
उन्होंने हज़ारो हज़ारों युवाओं को भी पर्वतारोहण के लिए प्रोत्साहित किया। कोर्स के बाद वह पर्वतारोहण, ट्रैकिंग, तथा रिवर राफ्टिंग के क्षेत्रों में काम करने लगी। पर्वतारोहण के समय इन्होने कई कैंप भी लगाए। चन्द्रप्रभा को पद्मश्री, अर्जुन पुरस्कार, नेशनल एडवेंचर अवार्ड, इत्यादि पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
वंदना कटारिया – हॉकी

वंदना भारतीय राष्ट्रीय फील्ड हॉकी टीम की खिलाड़ी है जो फॉरवर्ड के रूप में खेलती है। इनका जन्म १५ अप्रैल, १९९२ को रोशनाबाद, उत्तराखंड में हुआ था। यह जूनियर महिला विश्व कप में ब्रोंज मैडल विजेता बनी। इन्हे हैट्रिक गर्ल के नाम से भी जाना जाता है। इन्होने टोक्यो ओलंपिक्स में लगातार तीन गोल करके इतिहास रच दिया है। वह ओलिंपिक हैट्रिक बनाने वाली भारत की पहली महिला है। वंदना कटारिया को २०२१ में अर्जुन पुरस्कार तथा २०२२ में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।
ऋषभ पंत – क्रिकेट

ऋषभ पंत भारत के होनहार और बढ़ते युवा क्रिकेटर हैं। मूल रूप से ऋषभ हरिद्वार उत्तराखंड से सम्बन्ध रखते है। ऋषभ का जन्म 4 अक्टूबर, 1997 को हरिद्वार, उत्तराखंड में हुआ।
ऋषभ पंत 2016 में अंडर -19 क्रिकेट विश्व कप के लिये भारत की टीम में शामिल होने के लिए नामित हुए, और टूर्नामेंट के दौरान 18 बॉल्स में अर्द्धशतक पूरा किया था। इन्होंने अपनी बेहतरीन बल्लेबाजी से सभी का दिल जीत लिया।
सन 2016 में ऋषभ ने रणजी ट्रॉफी में दिल्ली के लिए खेलते हुए 48 बॉल्स में शतक बनाकर एक नाया रिकॉर्ड बना दिया। देश भर के लोग उनसे बहुत आकर्षित हुए । 2018 में उन्होंने टेस्ट में डेब्यू किया और विकेटकीपर के रूप में 7 कैच लेने वाले भारत के पहले और विश्व के 6 वें खिलाड़ी बने।
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