हमारे भारत देश की धरती प्रकृति की अनमोल देन है, जहां प्रकृति की अद्भुत छटा व मनोरम सौन्दर्य के दृश्य प्राप्त होते हैं। यहां पहाड़ों की वादियों से लेकर झीलों का आंनद प्राप्त होता है। इसी श्रेणी में यदि भारत के उत्तराखंड राज्य के नैनीताल की बात करें। तो यहां आकर हर किसी का मन प्रफुल्लित हो उठता है।
नैनीताल उत्तराखंड के मशहूर पर्यटक स्थलों में से एक है। नैनीताल तालों के लिए संपूर्ण भारत में प्रसिद्ध है। इसी कारण नैनीताल को तालों का शहर (Nanital: the lake City) भी कहा जाता है। हर साल नैनीताल की यात्रा के लिए लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं। यहां का शांत व खूबसूरत हता भरा वातावरण पर्यटकों को बेहद सुकून की अनुभूति कराता है।
आइए आज इस लेख के माध्यम से नैनीताल (जिसे तालों का शहर भी कहा जाता है) पर्यटक स्थल की विशेषताएं तथा अन्य महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करते हैं।
नैनीताल
उत्तराखंड राज्य में स्थित नैनीताल एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। नैनीताल स्थल का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है, नैनी+ताल। यहां नैनी का अर्थ है आंखें और ताल का अर्थ है झील। यदि हम नैनीताल स्थल की विशेषता को इस स्थल के नाम से जानना चाहे तो किसी प्रकार की मुश्किल नहीं होगी। चूंकि नैनीताल मुख्यता दो चीजों के लिए पहला तालों यानि झील और दूसरा नैना देवी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। नैनीताल की इन दोनों ही प्रसिद्धि चीजों का नाम नैनीताल स्थल के नाम में शामिल है।
नैनीताल का भूगोल
हिमालय की कुमाऊं पहाड़ियों की तलहटी में मौजूद नैनीताल एक जिला है। जहां स्थित नैनीताल नगर प्रमुख आकर्षक का केंद्र है। नैनीताल समुद्र तल से लगभग 1938 मीटर / 6358 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। नैनीताल की घाटी में नाशपाती के आकार की एक झील है जो कि नैनी झील है। चारों ओर से घिरी इस झील की कुल परिधि लगभग दो मील है। ग्रीष्मकाल में नैनीताल की आबादी दुंगनी हो जाती है।
ग्रीष्म काल का समय नैनीताल में समशीतोषण का होता है। इसके अलावा सर्दियों में नैनीताल में हिमपात होता है। नैनीताल में मौजूद तालों अथवा झीलों की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें पर्वतमालाओं, वृक्षों की छाया, आकाश मंडल में छाए बादल आदि दृश्य स्पष्ट दिखाई देते हैं। नैनीताल में मौजूद ताल की विशेषता कुछ इस प्रकार है कि गर्मी के मौसम इसका पानी हरा, बरसात में इसका पानी मटमैला और सर्दियों में इसका पानी हल्का नीला दिखाई देता है।
नैनी झील
उत्तराखंड में बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच मौजूद नैनीताल स्थल झीलों से घिरा हुआ है। जिसमें से नैनीताल की प्रमुख झील है नैनी झील। मुख्य रूप से नैनी झील के नाम पर ही नैनीताल का नाम पड़ा। पर्यटकों के लिए नैनीताल का मुख्य आकर्षण नैनी झील ही है। हिन्दू धर्म के स्कंद पुराण में इस झील को त्रिऋषि सरोवर कहा गया है। कहा जाता है कि इस झील में डुबकी लगाने से मानसरोवर के बराबर का पुण्य प्राप्त होता है। इस झील को 64 शक्ति पीठों में से एक माना गया है।
इस खूबसूरत झील के आसपास पहाड़ों का सुंदर दृश्य देखने को मिलता है। इसके उत्तरी किनारे को मल्लीताल तथा दक्षिणी किनारे को तल्लीताल कहा जाता है। इस झील के उत्तरी किनारे पर प्रसिद्ध नैना देवी मंदिर भी स्थापित है। जो कि नैनीताल के प्रमुख दार्शनिक स्थलों में से एक है। दक्षिण में मौजूद तल्लीताल में मछलियों का झुंड एकत्रित रहता है, जिन्हें खाना डालने के लिए यह पर्यटकों का एक अन्य आकर्षक केंद्र बन जाता है।
नैनी झील के नौकायन का आनंद लेने के लिए हर वर्ष यहां लाखों की संख्या में देशी व विदेशी पर्यटक आते हैं। नैनी झील के पास एक पुल भी मौजूद है जहां महात्मा गांधी की विशिष्ट प्रतिमा तथा पोस्ट ऑफिस है। यह विश्व का एकमात्र ऐसा पुल है जहां पोस्ट ऑफिस मौजूद है। नैनी झील के दोनों किनारे पर खूबसूरत दुकानें है जहां खरीदारों की भारी भीड़ रहती है। रात में चारों ओर बल्ब की रोशनी से इस झील की सुंदरता और भी मनमोहक दृश्य प्रदान करती है।
नैनीताल घूमने का सर्वश्रेष्ठ समय
वैसे तो नैनीताल आप साल भर में किसी भी माह में घूमने जा सकते हैं। लेकिन यदि हम नैनीताल में घूमने जाने के लिए एक अच्छे समय की बात करें तो मार्च से जून तथा सितंबर से अक्टूबर तक के माह का समय सबसे बढ़िया रहता है। यह समय पर्यटकों के लिए खास तौर से विशेष है। मार्च से जून तक के समय में आप नैनीताल के प्राकृतिक सौंदर्य का आंनद उठा सकते हैं। वहीं अक्टूबर से फरवरी माह तक के समय में आप वहां की सर्दियों का लुत्फ उठा सकते हैं। इस समय में आपको गरम कपड़े ले जाने की सलाह दी जाती है।
लेकिन मानसून के समय में नैनीताल जाना उचित नहीं समझा जाता है। क्योंकि मानसून के समय में नैनीताल में काफी बारिश होती है। पहाड़ी इलाका होने के कारण बारिश के समय में पर्वतों के खिसकने या भूस्खलन जैसी घटनाएं होने का डर बना रहता है। आपको बता दें, मानसून का यह सीजन मुख्यता जून से लेकर सितंबर के अंत तक रहता है।
कैसे पहुंचे तालों के शहर नैनीताल
नैनीताल जाना देश के सभी लोगों के लिए काफी सरल है, तीन प्रकार से नैनीताल की यात्रा के लिए जा सकते हैं :-
- वायु मार्ग – नैनीताल के लिए निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर विमानक्षेत्र है। जो कि नैनीताल से 79 किलोमीटर दूर है। यहां से आसानी से दिल्ली, देहरादून आदि के लिए हवाई सेवाएं प्राप्त होती हैं।
- रेल मार्ग – नैनीताल के लिए रेल मार्ग में निकटतम काठगोदाम (हल्द्वानी) रेलवे स्टेशन है जो कि 35 किलोमीटर की दूरी पर हैं। यह सभी प्रमुख नगरों से जुड़ा हुआ है।
- सड़क मार्ग – नैनीताल स्थल 109 राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ा हुआ है। इस प्रकार आसानी से इस रास्तों से अपनी बस, गाड़ी आदि से नैनीताल पहुंचा जा सकता है। हालांकि हल्द्वानी, आगरा, दिल्ली, बरेली, लखनऊ, कानपुर आदि से नैनीताल जाने के लिए नियमित रूप से रोडवेज बसे भी आसानी से मिल जाती हैं।
यदि आप भी प्रकृति के सौंदर्य तथा खूबसूरत झीलों का आनंद उठाने के इच्छुक है तो आप भी नैनीताल पर्यटक स्थल जाना ना भूलें।
आशा करते है आपको यह ज्ञानवर्धक जानकारी अवश्य पसंद आई होगी। ऐसी ही अन्य धार्मिक और उत्तराखंड संस्कृति से जुड़ी पौराणिक कथाएं पढ़ने के लिए हमें फॉलो करना ना भूलें।<<<<<
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