भगवान श्री भोलेनाथ के भक्त और श्रद्धालु संपूर्ण भारत में, यहाँ तक कि समूचे विश्व में पाए जाते हैं। भारत की पवित्र भूमि पर महाकाल के कई मंदिर तथा तीर्थस्थल मौजूद हैं जहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु महादेव के दर्शन के लिए आते हैं और सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त करते हैं। ऐसे स्थानों में जिस जगह का उल्लेख सबसे पहले किया जाता है वह है देवभूमि उत्तराखंड जहाँ महादेव स्वयं विराजमान होकर भक्तों पर कृपा दृष्टि रखे हुए हैं। आज के इस लेख में हम देवभूमि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित प्राचीन Koteshwar Mahadev Mandir से संबंधित जानकारियाँ प्राप्त करेंगे। साथ ही हम इस विशाल प्राचीन मंदिर के इतिहास और भूगोल के बारे में भी जानेंगे।
कोटेश्वर महादेव मंदिर अवस्थिति – Koteshwar Mahadev Mandir Location

कोटेश्वर महादेव मंदिर, देवभूमि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले से लगभग 3000 मीटर यानि 3 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। अलकनंदा नदी के तट पर गुफा के रूप में विद्यमान यह मंदिर सुन्दर पर्वतों की तलहटी में दिखाई पड़ता है। इसके आस-पास की हरियाली और यहाँ का मन मोह लेने वाला पर्यावरण पर्यटकों और श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करने से नहीं चूँकता। कोटेश्वर मंदिर की गुफा में प्राचीन काल से बहुत से प्राकृतिक शिवलिंग मौजूद हैं, साथ ही भगवान शंकर की मूर्तियाँ भी यहाँ स्थित हैं। इसके अलावा मंदिर में माता पार्वती, माँ दुर्गे, भगवान श्री गणेश, पवन पुत्र श्री हनुमान, इत्यादि की भी मूर्तियाँ देखी जा सकती हैं जो किंवदंतियों के अनुसार सैकड़ों वर्श पूर्व प्राकृतिक रूप से प्रकट हुईं थीं। प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर मंदिर के आस-पास मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें बहुत से श्रद्धालु, यात्री और पर्यटक हिस्सा लेते हैं और इससे मेले का आनंद उठाते हैं। चार धाम यात्रा में इस मंदिर के दर्शन का बहुत महत्व है और भक्तगण यात्रा करते समय कोटेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन कर भोलेनाथ का आशीर्वाद लेते हुए यात्रा पूर्ण करते हैं।
मुख्य शहर से मंदिर तक पहुँचने के लिए भक्तों की सुविधा हेतु बहुत ही सुगम रास्ता उपलब्ध है। मुख्य द्वार से तकरीबन 350 मीटर की दालान के पश्चात गुफा मंदिर के दर्शन प्राप्त किए जाता सकते हैं। मंदिर के मुख्य द्वार में प्रवेश करते ही प्रसाद और चढ़ावे की बहुत सी छोटी-बड़ी दुकाने पायी जा सकती हैं। मंदिर के भीतर श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था के लिए 5-6 कमरों का निर्माण भी किया गया है जहाँ रुक कर श्रद्धालु पूजा-उपासना पूर्ण कर सकते हैं।
कोटेश्वर महादेव मंदिर इतिहास – Koteshwar Mahadev Mandir History

वर्तमान से लगभग 5500 वर्ष पूर्व कोटेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना की गई थी। यहाँ मुख्य रूप से कोटेश्वर गुफा को पूजा अर्चना की जाती है जहाँ अनन्य शिवलिंगों का वास है और इसी कारण से इस जगह को Koteshwar Mahadev Mandir कहा जाता है, कोटेश्वर अर्थात ईश्वर के करोड़ों प्रतीक। स्कंद पुराण में स्पष्ट रूप से इस मंदिर का वर्णन किया गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, पूर्व काल में, कलयुग से पहले इसी स्थान पर एक कोटि अर्थात एक करोड़ ब्रह्म राक्षसों ने अपने कल्याण के लिए भगवान भोलेनाथ को स्मरण करते हुए तपस्या की, जिसके कारण कोटेश्वर का क्षेत्रफल बहुत बड़ा है। जब उन्होंने भगवान शंकर की उपासना की तो महादेव ने प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए और उन्होंने भगवान शंकर से दो वरदान माँगे। उन्होंने पहला वरदान यह माँगा की उन्हें ब्रह्म राक्षस योनि से मुक्त कर कर दिया जाये, और दूसरा वरदान यह माँगा की धरती पर उनके पूरे वंश का नाश होने के बाद भी उनका नाम इस लोक में अजर और अमर रहे। भगवान शंकर ने उन्हें वर देते हुए कहा कि वे इसी जगह पर कोटेश्वर के नाम से निवास करेंगे और कलिकाल में यह स्थान उन एक करोड़ ब्रह्म राक्षसों के नाम से जाना जाएगा, इसके सिवा भोलेनाथ ने उन सभी को मोक्ष प्रदान किया।
कोटेश्वर महादेव सभी दुःखों को दूर करने वाले हैं, तथा सभी भक्तजनों को कोटेश्वर महादेव के दर्शन के पश्चात इच्छित वरदान की प्राप्ति होती है। यहाँ बहती अलकनंदा नदी उत्तर से दक्षिण की ओर आती है लेकिन फिर उत्तर की तरफ घूम जाती है अर्थात यहाँ भगवती अलकनंदा उत्तरवाहिनी है। माना जाता है कि जहाँ भगवती उत्तरवाहिनी होती है उस स्थान पर देवता प्रत्यक्ष रूप से निवास करते हैं और ऐसी जगह को बहुत बड़ा तीर्थ माना जाता हैं। कहते हैं जो विद्यार्थि यहाँ आकर सात दिनों और सात रातों तक भगवान शिव की उपासना करते हैं उन्हें उच्चतम बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। साथ ही यहाँ आकर भक्त सन्तान प्राप्ति की भी कामना करते हैं।
सारांश
कहते हैं भोलेनाथ अपने भक्तों को कभी अकेला नहीं छोड़ते और सदैव उनके कष्टों का निवारण करते हैं। कोटेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव की ऐसी ही छवि दिखाई पड़ती है जहाँ सर्वेश्वर अपने भक्तों के कल्याण के लिए स्वयं विद्यमान हैं। उत्तराखंड की पावन देवभूमि ऐसे ही प्राचीन आश्चर्यजनक स्थलों के लिए जानी जाती है। यह भूमि देवो के निवास की भूमि है जो विश्व भर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
इस उल्लेख में ऐसे ही एक तीर्थस्थल श्री कोटेश्वर महादेव गुफा मंदिर के विषय में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की गई है। मंदिर अलकनंदा नदी के तट पर विराजमान है और करोड़ों प्राकृतिक शिवलिंगों को अपनी गोद में लिए हुए है। मंदिर के आस-पास का मनोहर प्राकृतिक दृश्य, ऊँचे-ऊँचे पर्वत, वादियाँ, और हरे-भरे इलाकों से सुसज्जित इस तीर्थस्थल की महिमा ही कुछ और है। मंदिर में आकर दर्शन प्राप्त करने वाले भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति के भी कई किस्से हैं। साथ ही इस लेख में मंदिर के इतिहास का भी विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है। Koteshwar Mahadev Mandir तक पहुँचने का रास्ता अधिक कठिन ना होने के कारण असानी से इस मनोहर मंदिर के दर्शन करके असीम शांति और सुख का अनुभव किया जा सकता है।
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