dhauli ganga river

जानें क्या है धौलीगंगा नदी तंत्र, साथ ही समझिए इस नदी का महत्वता

भारतवर्ष के राज्य देवभूमि उत्तराखंड में कई प्रमुख नदियों का उद्गम स्थान है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हिमालय में अनेक हिमनद पाये जाते हैं और यहां की नदियां कई स्थानों पर एक दूसरे से मिलती हैं और एक दूसरे के साथ जल साझा करती हैं। भारतीय संस्कृति में उत्तराखंड की नदियां सबसे अधिक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।

यहां की नदियों का पूरे विश्व में बहुत महत्व है। यहां की नदियां सिंचाई और जल विद्युत उत्पादन का सबसे प्रमुख संसाधन है। इन नदियों के किनारों पर अनेकानेक धार्मिक स्थल व सांस्कृतिक केंद्र स्थित है। हिंदुओं की सबसे पवित्रतम नदी गंगा नदी का उद्गम स्थल हिमालय की दक्षिणी श्रेणियां हैं। उत्तराखंड की अधिकांश नदियां दक्षिण- दक्षिण पूर्व दिशा में बहती हैं।

उत्तराखंड राज्य की सभी नदियां गंगा तंत्र की अंग हैं लेकिन यदि केवल राज्य के विषय में देखें तो यहां कई छोटे-बड़े नदी-तंत्र हैं, जिसमें काली नदी तंत्र, गंगा नदी तंत्र, और यमुना नदी तंत्र मुख्य हैं।

पूर्वी धौलीगंगा

पूर्वी धौलीगंगा का उद्गम गोवानखना हिमनद से होता है। पूर्वी धौलीगंगा दो शाखाओं लिस्सर व दारमा के रूप में निकलती है। गोवानखना हिमनद से निकलने के पश्चात सर्वप्रथम ये नदी तेजांग (छोटा कैलाश) से संगम करती हैं व इसके आगे पूर्वी धौली गंगा के नाम में पहचानी जाती है।

पूर्वी ध्वनि गंगा दो नदियों से मिलकर बनी हुई है जो की डाली नदी और लिसन नदी से बनी है पूर्वी धौली गंगा की सहायक नदियां नानदारमा, सेल्यांग्टी आदि हैं। पूर्वी धौलीगंगा का, काली नदी से संगम खेला(स्यालपंथ) या (तवाघाट) पर होता है। पूर्वी धौलीगंगा की लंबाई लगभग 91 किलोमीटर है।

पश्चिमी धौलीगंगा

पश्चिमी धौलीगंगा का उद्गम स्थान धौलागिरी की कुनगुल श्रेणी (नीति दर्रा) है। इस नदी का संगम विष्णुप्रयाग में अलकनंदा नदी से होता है। पश्चिमी धौलीगंगा, अलकनंदा नदी की एक सहायक नदी है। पंच प्रयाग में केवल विष्णुप्रयाग ही ऐसा प्रयाग है, जोकि बिना आबादी वाले क्षेत्र में स्थित है।

पश्चिमी धौलीगंगा की कुछ सहायक नदियां जैसे ऋषि गंगा, गणेश गंगा, और गिरथी गंगा हैं जोकी रैनी नामक स्थान पर पश्चिमी धौलीगंगा से जा मिलती हैं। पश्चिमी धौलीगंगा की लंबाई लगभग 94 किलोमीटर है।

धौली गंगा नदी तंत्र

धौली गंगा, गंगा नदी की छह आरंभिक सहायक नदियों में से एक है। धौलीगंगा, उत्तराखंड राज्य में बहने वाली हिमालयी नदी है। धौलीगंगा भी उन नदियों में से एक है, जिसका उद्गम हिमालय में होता है और फिर ये नदी धर्म घाटी के क्षेत्रों को सींचती है।

गंगा नदी की छः सहायक नदियां गंगा नदी से छोटी होती हैं लेकिन ये गंगा नदी के साथ बहती हैं और ऐसा दर्शाती हैं जैसे की ये गंगा नदी में जल का मुख्य श्रोत हैं। हालांकि, धौलीगंगा समेत ये सभी नदियां सीधा गंगा नदी की ओर नही बहती हैं।

ये नदियां स्वयं को गंगा नदी की सहायक नदियों में खाली कर देती हैं। धौलीगंगा नदी 82 किलोमीटर बहकर के अलकनंदा नदी में मिल जाती है।

धौलीगंगा को अलकनंदा नदी की एक प्रमुख उपनदी कहते हैं। अलकनंदा नदी स्वयं ही गंगा नदी की प्रमुख स्त्रोतधारा है। धौली गंगा नदी गढ़वाल क्षेत्र और तिब्बत की सीमा पर स्थित नीति दर्रे के पास से आरंभ होती है (जोकि समुद्रतट से 5070 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।)

और विष्णुप्रयाग में जाकर के अलकनंदा नदी से संगम करती है। इस नदी के मार्ग में ही ऋषि गंगा नदी का धौलीगंगा में विलय हो जाता है। ऋषि गंगा नदी, धौली गंगा नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है। पश्चिमी धौली गंगा की लंबाई लगभग 94 किलोमीटर है।

धौली गंगा नदी में कई अन्य छोटी नदियां भी मिलती हैं। ये नदियां पर्ला, कामत, जैन्ती, अमृतगंगा और गिर्थी हैं। ये नदी अपने उद्गम स्थल से निकलने के बाद बहते-बहते लगभग 94 किलोमीटर की दूरी तय करती है, और उसके पश्चात अंत में विष्णुप्रयाग में अलकनंदा नदी से जा मिलती है।

धौलीगंगा बांध

उत्तराखंड में धारचूला के नजदीक धौलीगंगा नदी पर नेपाल और तिब्बत की सीमाओं के पास एक ठोस चट्टान और पृथ्वी से भरा एक तटबंध बांध था। ये नदी के बहाव के रूप में संचालित होता था। 7 फरवरी, 2021 को  हिमस्खलन के कारण अचानक से आयी बाढ़ से ये पूरी तरह नष्ट हो गया था ।

धौली गंगा परियोजना

धौली गंगा परियोजना भारत की नदी घाटी परियोजनाओं में से एक है। इस परियोजना के अनुसार उत्तराखंड में धौलीगंगा नदी पर धौलीगंगा बांध बनाकर 280 मेगा वाट की विद्युत इकाई लगाई जाएगी। हिमालय के ऊपर के भाग में शारदा नदी (काली नदी) के बेसिन में तीन प्रमुख सहायक नदियां धौलीगंगा गोरी गंगा और पूर्वी रामगंगा शामिल हैं।

इन तीनों नदियों की विद्युत संभावना क्रमशः 1240 मेगा वाट, 345 मेगा वाट, एवं 80 मेगा वाट होने का अनुमान है।

अधिक विद्युत संभावना और अच्छे हाइड्रोलॉजिकल रिकॉर्ड कई सालों से धौली गंगा बेसिन के एक विस्तृत अध्ययन और विद्युत परियोजना की एक श्रंखला को बनाते हुए धौलीगंगा नदी में उपलब्ध 2000 मीटर के हेड का उपयोग करने के लिए एक प्लान को बनाए जाने में परिणत हुआ है।

280 मेगा वाट की धौलीगंगा नदी की परियोजना इस मास्टर प्लान की सबसे कम क्षमता वाली योजना है।

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