उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और अलौकिक इतिहास के लिए जाना जाता है, जिसका एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है – ऋषि गंगा। दरअसल ऋषि गंगा एक हिमालयाई नदी है, इस नदी का उद्गम भारत की दूसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी नंदा देवी के चंग भंग ग्लेशियर से हुआ है।
जो कि भारत के उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में बहती है। ऋषि गंगा नंदा देवी पर्वत की ढलान ऊपर स्थित उत्तरी नंदा देवी हिमानी से उत्पन्न होती है और इसे दक्षिणी नंदा देवी हिमानी से भी जल प्राप्त होता है।
आपको बता दें कि उसके बाद ये नदी नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान से होकर रैणी गांव के समीप धौलीगंगा नदी में विलय हो जाती है। धौलीगंगा आगे चलकर अलकनंदा नदी में विलय हो जाती है, जो स्वयं गंगा नदी की एक मुख्य उपनदी है। ऋषिगंगा नदी में जल का बहाव शक्ति से होता है।
जिससे उसका शोर और जलधारा की उग्रता प्रसिद्ध है। ऋषिगंगा, धौलीगंगा नदी की सहायक नदी है। ऋषि गंगा नदी का प्राचीन नाम ऋषिकुल्या है। ये नदी साधारण बिलकुल नहीं है, बल्कि अपने साथ एक अमिट इतिहास को संभाले हुए है।
महाभारत के 1 पूर्व में इस नदी का वर्णन मिलता है जहां पर इस नदी को ऋषि पुलिया के नाम से उल्लेखित किया गया है। इस नदी के उद्गम स्थल के निकट ही पवित्र धाम श्री बद्रीनाथ स्थित है और यह नदी एक पवित्र नदी मानी जाती है।
ये नदी अपने उद्गम स्थल से निकलकर आगे बढ़ती हुई बहती हुए आगे चलकर धौलीगंगा नदी में समाहित हो जाती है।ऋषि गंगा नदी पर पर एक पावर प्रोजेक्ट का काम चल रहा था।
ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट बिजली उत्पादन के लिए चलाया जा रहा एक प्राइवेट प्रोजेक्ट है। इस प्रोजेक्ट को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा था। हालांकि अब यहां पर बिजली उत्पादन शुरू हो चुका है।
आपको बता दें कि नंदा देवी पर्वत के राष्ट्रीय पार्क से निकलने वाली ऋषि गंगा नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में टूटे हिमखंडों के कारण बाढ़ आ गई थी और इस कारण धौलीगंगा और अलकनंदा घाटी में नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया था।
इससे ऋषिगंगा और धौलीगंगा के संगम पर स्थित रैणी नामक गांव के समीप स्थित एक निजी कंपनी की ऋषि गंगा बिजली परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा था। ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट बिजली उत्पादन के लिए चलाया जा रहा था। अब यहां पर बिजली का उत्पादन शुरू हो गया था। यहां पर पानी से बिजली पैदा करने का काम चल रहा था।
ये प्रोजेक्ट ऋषि गंगा नदी पर बनाया गया है, और ये नदी धौलीगंगा में मिलती है। अभी पिछले वर्ष उत्तराखंड के चमोली जिले के भारत चीन सीमा के पास स्थित नीति घाटी के सुमना क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने से धौलीगंगा नदी में बाढ़ आ गई थी। इससे ऋषि गंगा प्रोजेक्ट को काफी नुकसान पहुंचा था।
ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट का लक्ष्य बिजली का प्रोडक्शन बढ़ाना था इसके जरिए उत्तराखंड के अलावा दिल्ली उत्तर प्रदेश हरियाणा को बिजली सप्लाई करने की योजना थी, परंतु अब इसकी तबाही के पश्चात प्रोजेक्ट के द्वारा शुरू होने की संभावना काफी कम है।
ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट का काम वर्ष 2008 में शुरू हो गया था। उस समय से ही यहां के स्थानीय लोगों ने इस प्रोजेक्ट का खुलेआम विरोध किया। यहां तक कि वे लोग न्यायालय तक पहुंच गए। इलाके के लोगों का कहना था कि प्रोजेक्ट के लिए किए जा रहे विस्फोट से क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन और पर्यावरण के लिए घातक है।
ये मामला अभी उत्तराखंड हाई कोर्ट में विचाराधीन है हालांकि विवाद के बाद भी यहां पर प्रोजेक्ट में विद्युत उत्पादन कार्य चल रहा था।
ज़ाहिर है यूं तो उत्तराखंड में ऐसी कई जगह, नदियां, पहाड़ आदि हैं लेकीन जब तक हम उनसे जुड़े महत्त्व को नहीं जानते उनकी उपयोगिता का एहसास नहीं होता। चमोली से बहती हुई ऋषि गंगा स्वयं में कई ऐतिहासिक धरोहर की झलकें बटोरे हुए है।
ये उत्तराखंड की विरासत को और भी अमूल्य और धनी बनाती है जो हर यहां के निवासी के लिए गर्व का विषय है।
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