भारत की आन-बान-शान हमारा प्यारा, खूबसूरत, प्रकृति के सभी गुणों से भरपूर राज्य देवभूमि उत्तराखंड। जी हां आज फिर से हम बात करने जा रहे हैं उत्तराखंड राज्य की, जिसके बारे में आप जितना बोले, जितना जानें उतना ही कम है। इस राज्य में प्रकृति की सुंदरता कूट-कूट कर भरी हुई है।
आपकी ऐसी कौन सी मनपसंद चीज होगी, ऐसी कौन सा आपका मनपसंद दृश्य होगा, जो आपको उत्तराखंड में ना देखने को मिले।
पहाड़ों से लेकर के नदियां, झरने, तालाब, फूलों की वादियां, मखमली घास की चादर, बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियां, उसकी तलहटी से निकलती हुई नदियां, प्राचीन मंदिर, रहस्यमयी गुफाएं आदि आपकी आंखों को पसंद आने वाला हर एक दृश्य जहां उपस्थित है।
अब आप ही ये तय कर लें कि आपकी रूचि किस चीज में है। आप हिल स्टेशन जाना चाहते हैं, आप नदी के किनारे बैठकर गाने सुनना चाहते हैं, आप झरनों में जाकर के वहां के खूबसूरत नजारे का लुत्फ उठाना चाहते हैं, या फिर हरी मखमली घास पर शांति से विश्राम करना चाहते हैं।
उत्तराखंड में हिमालय की तलहटी में फूलों की घाटियां है, जोकि अपनी खूबसूरती के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। केवल इतना ही नहीं उत्तराखंड के और भी ऐसे स्थान हैं, जिनका नाम विश्व की धरोहरों में शामिल है। उत्तराखंड का प्रसिद्ध तुंगनाथ मंदिर जोकि दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है।
उत्तराखंड सबसे प्रसिद्ध नंदा देवी पर्वत जो कि भारत का दूसरा सबसे ऊंची चोटी वाला पर्वत है। भारत की सबसे पवित्र नदियों (गंगा, यमुना, सरस्वती) का उद्गम भी उत्तराखंड से ही होता है।
नंदा देवी तथा फूलों की घाटी


पूरे विश्व की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला तथा भारत की आन बान शान हिमालय पर्वत की खूबसूरती के विषय में भला कौन नहीं जानता है। बादलों तथा बर्फ की सफेद चादर ओढ़े आसमान को छूता हुआ अपने शिखरों का दीदार कराता हुआ हिमालय पर्वत कितना खूबसूरत लगता है।
हिमालय पर्वत की तलहटी में जहां देखो वहां दूर-दूर तक रंग बिरंगे फूलों की घाटी फैली हुई है, जो कि इस खूबसूरत नजारे की सुंदरता में और चार चांद लगा देती है। बर्फ को चादर ओढ़े हिमालय की तलहटी में फैली फूलों की सुंदर, मनोरम, रंग-बिरंगी घाटियां हिमालय की शोभा को कई गुना तक बढ़ा देती हैं। ये खूबसूरत नजारा देखने में किसी स्वर्ग से कम नहीं लगता।
नंदा देवी, देवभूमि उत्तराखंड के उत्तरी छोर पर स्थित भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है। नंदा देवी पर्वत की गोद में फूलों से हटके एक खूबसूरत घाटी स्थित है जो वैली ऑफ फ्लावर्स के नाम से पूरे विश्व में विख्यात है इस घाटी का नाम देश के टॉप टूरिस्ट स्पॉट्स में टॉप पर है।
जिसे संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को ने सन 1988 में प्राकृतिक स्थल के रूप में विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया था। पश्चिमी हिमालय का हिस्सा बनी अनगिनत अल्पाइन वनस्पतियों से भरपूर वैली ऑफ फ्लावर्स।
जहां एक तरफ यह घाटी जंस्कार रेंज और ग्रेट हिमालय के बीच का संक्रमण क्षेत्र है, तो दूसरी ही तरफ यह घाटी पश्चिमी हिमालय तथा पूर्वी हिमालय को भी आपस में जोड़ती है।
उत्तराखंड में गढ़वाल के जोशीमठ से मात्र कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर ये वैली ऑफ फ्लावर्स, नंदा देवी पार्क में स्थित पुष्पावती घाटी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वैली ऑफ फ्लावर्स गंगा नदी की भयंगर घाटी में स्थित एकमात्र हैंगिंग वैली है। हेमकुंड घाटी, वैली ऑफ फ्लावर्स के समवर्ती लगभग 10 किलोमीटर की दूरी तक चलती है।
वैली ऑफ फ्लावर्स में पुष्पावती नदी

आपको बता दें कि हिमालय की तलहटी में ही स्थित पुष्पावती नदी के बेसिन में तकरीबन 2 किलोमीटर तक फूलों की घाटी 6 किलोमीटर चौड़ाई तक फैली है। पूर्व में स्थित गौरी पर्वत इस फूलों की घाटी की सबसे ऊंची जगह है। गौरी पर्वत के तिप्रा हिमनद से, पुष्पावती नदी एक छोटी सहायक नदी के रूप में निकलती है।
जोकि वैली ऑफ फ्लावर्स से होकर गुजरती हुई अलकनंदा नदी में जा मिलती है। फूलों की घाटी यहां पर स्थित नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व का दूसरा कोर जोन है जिस स्थान पर कई औषधीय जानवरों पौधों तथा पक्षियों की लुप्त होने की कगार पर आ गई प्रजातियां तक पाई जाती हैं।
फूलों की घाटी का इतिहास
वैली ऑफ फ्लावर का जिक्र आपको अनेकों प्राचीन किताबों अथवा ग्रंथों में मिलता है। इस स्थान पर मिलने वाली औषधीय पौधों का उपयोग विभिन्न औषधियों को बनाने में किया जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार रामायण में जब लक्ष्मण जी के मूर्छित होने के बाद संजीवनी बूटी की तलाश के लिए निकले हनुमान जी इसी फूलों की घाटी तक पहुंचे थे। और उनके द्वारा उठाई गई संजीवनी पर्वत, वैली ऑफ फ्लावर्स ही थी।
उसी स्थान पर आधुनिक भारत में कई वर्षों तक इस घाटी से सिर्फ यहां के निवासी ही परिचित है। जिसके बाद सन 1982 में एडमंड स्मिथ ने इस घाटी के अस्तित्व को पुष्पावती घाटी के रूप में पूरी दुनिया के सामने लाए।
सन 1962 में एडमंड स्मिथ ने पुष्पावती घाटी की खोज की। फ्रैंक स्मिथ ने वैली ऑफ फ्लावर्स नाम की एक किताब लिखी जिसका प्रकाशन सन् 1931 में हुआ।
भारत सरकार ने सन 1939 में नंदा देवी गेम अभ्यारण की स्थापना की। सन 1982 में इस पार्क का नाम बदलकर नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया। वैली ऑफ फ्लावर्स का नाम यूनेस्को ने सन 1988 में विश्व की धरोहर स्थल सूची में शामिल किया। इस वैली में कई प्रकार की महत्वपूर्ण वनस्पतियां पाई जाती हैं।
आपको बता दें कि इसके पीछे का कारण यही है कि फूलों की घाटी पहाड़ों की गोद में स्थित है इसलिए इसके खूबसूरत नजारे का दीदार करने के देश-विदेश से लोग यहां घूमने आते हैं।
विश्व की धरोहरों में अपना नाम शामिल करने वाली अद्भुत घाटी हिमालय की भी शोभा बढ़ाती है। हिमालय के कदम चूमती हुई यह फूलों की घाटी धरती रंग बिरंगे मुकुट के समान दिखती है। इस स्थान की शोभा अवर्णनीय है। उत्तराखंड संपूर्ण ही बेहद खूबसूरत है।
जिस प्रकार कश्मीर को भारत में जन्नत कहा हैं उसी प्रकार देवभूमि उत्तराखंड में भी स्वर्ग का एहसास और वास है । चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ प्रकृति की गोद में बसा एक अनमोल रतन जैसा है। जो अपनी खूबसूरत तथा दिव्य शोभा से पूरे विश्व को अपनी और आकर्षित करता है।
प्रतिवर्ष यहां देश-विदेश से न जाने कितने यात्री यहां घूमने आते हैं। धार्मिक स्थलों के साथ-साथ यहां पर रोमांचक स्थल भी बहुत मशहूर हैं, जैसे कि मसूरी, नैनीताल, तथा औली इत्यादि।
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