वशिष्ठ जी का परिचय
वशिष्ठ जी भगवान श्री राम के दीक्षा और शिक्षा दोनों ही गुरु हैं। भगवान श्री राम जी बाल्यकाल से ही अपने चारों भाइयों सहित वशिष्ठ जी के आश्रम में शिक्षा प्राप्ति के लिए आ गए थे।
वशिष्ठ जी दशरथ जी के कुल पुरोहित भी थे। वशिष्ठ जी सप्त ऋषियों में से एक हैं। प्रत्येक पूजन से पूर्व सप्त ऋषियों को स्मरण कर उनका पूजन किया जाता है। बिना सप्त ऋषियों के ध्यान किसी भी पूजा की शरूआत नही होती है।
कश्यपोत्रि भरद्वाजो विश्वामित्रोथगौतमः।
जमदगनिर्वशिष्ठशच सप्तएतेऋषयास्मृता।।
उत्तराखंड के ऋषिकेश में शहर की चकाचौंध से बहुत दूर ऋषि वशिष्ठ गुफा स्थित है जोकि ऋषिकेश में ध्यान लगाने के लिए सभी उत्तम स्थानों में से एक है। ये प्राचीन गुफा गंगा नदी के किनारे तट पर स्थित है।
चारों ओर से गूलर वृक्षों के घने जंगल के बीच में स्थित ये गुफ़ा बहुत ही शांत और ध्यान लगाने योग्य है। इस पूरे स्थान में और इसके आस पास के स्थान में भी आप एक अलग दिव्यता की अनुभूति करेंगे।
वशिष्ठ गुफा के अंदर

वशिष्ठ गुफा के प्रवेश द्वार के अंदर तो बहुत अच्छी तरह से रौशन किया जाता है, लेकिन जैसे ही जैसे आप एक एक कदम आगे बढ़ाते हैं तो गुफा अंदर काली होती चली जाती है। वहाँ चारों तरफ अंधेरा ही दिखता है।
ये गुफा बहुत ही साफ-सुथरी और सुव्यवस्थित है। इसकी फर्श पर एक सफेद मैट बिछाया गया है, जिसमें एक बार में 12 लोग बैठ सकते हैं। यहाँ स्वछता और सुंदरता पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
वशिष्ठ गुफा के अंत में स्थापित एक शिवलिंग को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। यहाँ चारों ओर अंधेरा है लेकिन यहाँ प्रकाश का एकमात्र स्रोत टिमटिमाता हुआ तेल का दीपक होता है। ये तेल से भरा दीपक यहाँ हर समय जलता ही रहता है।
ये गुफा बहुत ही ठंडी होती है। यहाँ का वातावरण आपको सदेव ठंडा और आपके अनुकूल ही मिलेगा। यहाँ हर वक्त आपको अगरबत्ती जलाने की सुगंध हवा में चारों ओर फैली महसूस होगी।
ये मनमोहक सुगंध भी आपको ध्यान लगाने के लिए प्रेरित करेगी। यहाँ की प्रत्येक वस्तु आपका ध्यान केंद्रित करेगी। इसीलिए ये स्थान ध्यान लगाने के लिए बहुत ही उपयुक्त स्थान है।
वशिष्ठ गुफा से संबंधित पौराणिक कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार, ये वही स्थान है जहां श्री राम जी के गुरु महान ऋषि वशिष्ठ ने ऋषिकेश में अपने प्रवास के दौरान ध्यान लगाया था। सभी महान ऋषियों में से एक के रूप में प्रतिष्ठित, ऋषि वशिष्ठ सप्तऋषियों में से एक हैं।
सभी भक्तों का ऐसा मानना है कि अपने बच्चों के दुखद निधन के बाद ऋषि वशिष्ठ ने गंगा नदी में आत्महत्या करने की कोशिश की थी। लेकिन देवी गंगा ने उनकी इस याचना को ठुकरा दिया।
गंगा जी के उन्हें खुद में समा जाने के लिए मना करने के बाद वशिष्ठ जी अपनी पत्नी सहित यही रहने लगे। इस स्थान की सुंदरता ने भी वशिष्ठ ऋषि की पत्नी देवी अरुंधति को मंत्रमुग्ध कर दिया था और फिर उन्होंने यही पर रहने का फैसला किया।
दुःख को दूर करने के लिए ऋषि वशिष्ठ और उनकी पत्नी अरुंधति दोनों एक साथ इस स्थान पर लगभग सौ से अधिक वर्षों तक प्रभु के ध्यान में ही अपना समय बिताया।
अपनी तपस्या के प्रभाव से वशिष्ठ जी ने इस स्थान को पवित्र और समस्त पापों से मुक्त बनाया। जब वशिष्ठ ऋषि यहाँ रहते थे तब उनके तप के प्रभाव से यहाँ के जंगलो मे रहने वाले हिंसक पशु भी अपनी हिंसा त्याग कर आपस में प्रेम से रहते थे। कभी किसी मनुष्य या अपने से छोटे जानवरों को हानि नहीं पहुंचाते थे।
वशिष्ठ गुफा का इतिहास
लोगों का ऐसा मानना है कि एक प्रसिद्ध हिंदू संत स्वामी पुरुषोत्तमानंद जी 20वीं शताब्दी में यहां आए थे। बाद में भक्तों ने गुफा के पास एक आश्रम बनाया, जो स्वामी पुरुषोत्तमानंद आश्रम के नाम से लोकप्रिय है। इस स्थान पर बहुत से भक्त ध्यान के लिए आते हैं। वर्तमान समय में स्वामी पुरुषोत्तमानंद जी ट्रस्ट, आश्रम और गुफा का प्रबंधन करता है।
वशिष्ठ गुफ़ा के बारे में रोचक तथ्य
▪️वशिष्ठ गुफा एक प्राकृतिक रूप से निर्मित गुफा है जो लगभग 60 फीट गहरी है। इस गुफा की शुरुआत में ही एक शिवलिंग लंबवत झुका हुआ है।
▪️गुफा क्षेत्र के बाहर कई कमरे बने हैं जो साधुओं के रहने लिए स्थायी निवास बनाये गए हैं।
▪️यहाँ वशिष्ठ गुफा और मंदिर, घने घने जंगलों के बीच में स्थित है, इसलिए आप जंगल के जंगली पशु पक्षियों को भी देख सकते हैं। यहाँ आपको अनेकों प्रकार के जीव जंतु देखने को मिलेंगे।
वशिष्ठ गुफ़ा के आस पास के सुंदर नजारे
हालांकि वशिष्ठ गुफा प्रार्थना करने, ध्यान लगाने और आध्यत्मिक अनुभूति करने के लिए सबसे उचित स्थान है। लेकिन कोई भी उस परिवेश में गहराई से उतर सकता है जो साहसिक अवसरों के आयाम प्रदान करता है। वशिष्ठ गुफा के पास जंगल की सुंदरता अलग ही छटा बिखेरती है।
यहाँ आप कैमपिंग कर सकते हैं। ट्रैकिंग, पंछी देखना, और रात में खूबसूरत नजारों के बीच तारे देखना आदि। आश्रम के पास एक छोटे से गांव गूलर में गांव की सैर के लिए जा सकते हैं। या फिर नदी के पास उसके तट पर आराम करें।
वशिष्ठ आश्रम के बाहर एक छोटी सी गुफा है जो “अरुंधति गुफा” के नाम से प्रसिद्ध है । दूसरी ओर गूलर गांव के पास आप लोहे का झूला पुल देख सकते हैं। इस पुल से आप नदी के उस पार जा सकते हैं।
यदि आपके पास पर्याप्त समय है, तो आसपास के कुछ आकर्षण जैसे लगभग 2.5 किमी दूर नीर घाटू जलप्रपात और शिवपुरी से लगभग 11 किमी दूर एक प्रसिद्ध रिवर-राफ्टिंग और कैंपिंग स्थल है। आप वहाँ भी जा सकते हैं।
वशिष्ठ गुफा ऋषिकेश में स्थित है इसलिए यहाँ की यात्रा साल भर में किसी भी समय की जा सकती है क्योंकि यहां का मौसम सदेव सुहावना और आकर्षक रहता है।
यहाँ आप किसी भी मौसम में आयें आपको हर मौसम में यहाँ एक असीम शांति का अनुभव होगा। यहाँ दिव्यता और सरलता से आप आकर्षित हुए बिना रह ही नही पाएंगे। आपको पता ही नहीं चलेगा कि कब आपका यहाँ ध्यान लग गया।