Beatles Ashram ( Rishikesh )
उत्तराखंड के सौंदर्य से आखिर कौन वाकिफ नहीं है। हर कोई जानता है कि देवों की भूमि कही जाने वाली उत्तराखंड की धरती पर कई ऐसे पवित्र स्थल और नजारे देखने और महसूस करने को मिलते हैं।
साथ ही आपको बता दें कि कई ऐसे ऐतिहासिक स्थल भी आपको यहां पर देखने मिलेंगे जोकि यहां के अद्भुत इतिहास की व्याख्या करते हैं।
हम सभी जानते हैं कि इस पवित्र भूमि पर कई ऐसे मंदिर पर्वत और धार्मिक स्थल है जहां कई श्रद्धालु और पर्यटक जाना पसंद करते हैं। तो वहीं आज हम आपको बताने वाले हैं बीटल्स आश्रम के बारे में।
दरअसल ये पूरा किस्सा 20 वीं सदी का है जब एक विश्व भर में मशहूर रॉक बैंड द बीटल्स भारत भ्रमण के लिए आया था। उस समय ब्रिटेन पॉप बैंड द बीटल्स संपूर्ण विश्व के लोगों के दिलों पर अपनी मधुरता भरी धुन से राज कर रहा था।
आपको बता दें कि 60 के दशक में 4 लड़कों का बना ये बैंड बेहद मशहूर था क्योंकि इसने वो करिश्मा किया कि लिवरपूल के इस बैंड ने ब्रिटेन पॉप म्यूजिक को पूरे म्यूजिकल जगत की एक धरोहर बना दी।
यही कारण है कि लाखों-करोड़ों लोग इनके सोंग्स के दीवाने हो गए। मात्र 4 लोगों से बना ग्रुप, बीटल्स अब दुनियाभर में धूम मचा रहा था और लोग उनके लिए दीवाने हो चुके थे।

आपको बता दें कि जिस 60 के दशक में पूरा विश्व बीटल्स के रॉक म्यूजिक का दीवाना था, ठीक उसी समय पर इन कलाकारों की उत्सुकता और रुझान योग और अध्यात्म की ओर बढ़ने लगा। इसके बाद ही फिर वो चारों कलाकार आ पहुंचे महर्षि महेश योगी के आश्रम।
दरअसल ऋषिकेश में 18 एकड़ में राजा जी नेशनल पार्क में महर्षि महेश योगी नाम के संत का आश्रम था जिसे चौरासी आश्रम कहते थे। वहां पर योग साधना के लिए दो मंजिला चौरासी कुटिया थी जिसमें बैठकर योग ध्यान किया जाता था।
साथ ही आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उस समय विश्व में महर्षि महेश योगी भारतीय योग कला और आध्यात्मिक दर्शन के एक आईकॉन के रूप में जाने जाते थे।
गौरतलब है कि जब अध्यात्म की बात आती है तो एक तरह से पूरी दुनिया ही भारत की ओर खिंची चली आती है। शायद यही कारण है कि संगीत के सितारे भी भारत की अध्यात्म धरती पर साल 1968 में दिल्ली आए और फिर यहां से हो ऋषिकेश के महर्षि महेश योगी आश्रम पहुंच गए।
वहीं आपको ये भी बता दे कि यहां आने के बाद बीटल्स के ग्रुप ने इस आश्रम में 40 के करीब गाने अपने बैंड के लिए रचे, जो कि बाद में बहुत पसंद किए गए। इसके अलावा इस जगह पर वो लोग ध्यान करते, शाकाहारी भोजन करते और गीत गाते।
वही कुछ सालों के बाद महेश योगी ने भी ये आश्रम अपने शिष्यों के साथ छोड़ दिया लेकिन आज भी लोग इस आश्रम में बीटल्स के कारण आते हैं।
दरअसल उस समय आश्रम कई आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण था जैसे बेल बूटे, घास फूस, हरे तोते, बहुत सारे परिंदे, सुंदर सुसज्जित कुटियां, सब बहुत ही सुंदर और मनमोहक थे। लेकिन कुछ समय बाद कुछ 80 के दशक से ये एक खंडहर में तब्दील हो गया।
वहीं महर्षि महेश योगी का चौरासी कुटिया आश्रम जिसे आज बीटल्स आश्रम के नाम से जाना जाता है उसे 8 दिसंबर 2015 को आम जनता के लिए खोल दिया गया। इसके बाद से ही आश्रम इको फ्रेंडली टूरिस्ट लोकेशन में परिवर्तित हो गया। यही नहीं इसके बाद से ही यहां पर मेडिटेशन क्लास और योगा की क्लास भी चलने लगी।
सीधे शब्दों में कहा जाए तो उस खंडहर को एक टूरिस्ट प्लेस के रूप में बदल दिया गया, जो कि आज भी कई पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
एक तरह से देखा जाए दुनिया का प्रसिद्ध पॉप बैंड ग्रुप बीटल्स आज से कुछ 50 साल पहले भारत में एक आध्यात्मिक जागृति की खोज में आया था। इसके पीछे कारण यही था कि इस आध्यात्मिक जागृति के माध्यम से वो अपने संगीत में सुधार ला सकें। जिन महर्षि महेश योगी के आश्रम में वे रुके थे उन्हें ही वो अपना गुरु मानते थे।
आपको बता दें कि जहां बीटल्स के ग्रुप के आने और रुकने के कारण ही इस जगह का नाम बीटल्स आश्रम रखा गया, क्योंकि ये वही जगह है जहां मशहूर पॉप ग्रुप ने कुछ दिन गुजारे थे और अपनी कई नई धुनें गढ़ी थीं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 2003 से ही ये पूरा इलाका वन विभाग के क्षेत्र में मिला लिया गया था। उसके बाद काफी विचार विमर्श के पश्चात धीरे-धीरे इसे फिर से खोलने का निर्णय लिया गया। फिर 8 दिसंबर 2015 को बीटल्स आश्रम सैलानियों और पर्यटकों के लिए खोल दिया गया।
वही आपको ये भी पता होना चाहिए कि आश्रम में जाने के लिए भारतीयों को ₹150 की टिकट लेनी होती है, वही विदेशियों को ₹700 की टिकट दी जाती है। जब से बीटल्स आश्रम को फिर से पर्यटकों के लिए खोला गया है तब से पॉप बैंड ग्रुप बीटल्स के फैंस उनके इसी जगह होने का एहसास लेने इस आश्रम पर आते हैं।
जब 1968 में दुनिया भर में मशहूर बीटल्स बैंड का ग्रुप भारत की तीर्थ नगरी में आया तो मानो संपूर्ण विश्व इस जगह एहसास लेने को ललाहित हो गया। बीटल्स के यहां आने के बाद से ही दुनिया भर से सैलानी इस जगह को देखना चाहते थे।
कई ऐसे विदेशी पर्यटक है जो बीटल्स के फैन होने के कारण इस जगह को देखने आए। यही नहीं आज भी लोग इस बीटल्स आश्रम को देखने के लिए दुनिया भर से आते हैं। जाहिर है कि उत्तराखंड की धरती इतनी पावन है कि चाहे कोई भी यहां आए लेकिन ये उसे अपने आप से जोड़े रखती है।
>>>> जानिए क्या है उत्तराखंड के चिपको आंदोलन की पूरी कहानी | Chipko Movement