देवभूमि उत्तराखंड, भारत का अत्यधिक सुंदर पर्यटक स्थल है। यहां हर वर्ष लाखों की संख्या में देश विदेश से पर्यटक आते हैं और उत्तराखंड की खूबसूरती को अपने आंखों में समेट कर लेकर जाते हैं।
उत्तराखंड एक टूरिस्ट स्थान है, जहां प्राचीन व पौराणिक मंदिरों तथा पहाड़ों आदि की भरमार है। इसके साथ ही उत्तराखंड में कई वन्य जीव अभ्यारण क्षेत्र है जहां पशु पक्षियों की विलुप्त होती प्रजातियों को भी संरक्षित किया जाता है। उत्तराखंड का सबसे प्रसिद्ध वन्य जीव अभ्यारण का नाम है नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य, जिसकी लोकप्रियता उत्तराखंड में सर्वाधिक है।
आज हम अपने लेख के माध्यम से आपको नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य के विषय में संपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले हैं। यदि आप भी नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य के बारे जानना चाहते हैं तो हमारा यह लेख अंत तक अवश्य पढ़ें।
नंधौर वन्यजीव अभयारण्य ( Nandhaur Wildlife Sanctuary )

भारत के वन्यजीव अभ्यारण्यों में से एक नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य उत्तराखंड में स्थापित है। जिसे साल 2012 में बनवाया गया था। अभ्यारण एक वन क्षेत्र है जो उत्तराखंड में तराई आर्क लैंडस्केप (टीएएएल) का हिस्सा है। यह उत्तराखंड से लेकर नेपाल तक विस्तृत रूप से फैला हुआ है।
दरअसल, तराई आर्क लैंडस्केप भारत में यमुना नदी के पश्चिम में फैली हुई है तथा पूर्व में नेपाल में बागमती नदी से लगभग 50000 किमी दूर क्षेत्र में फैली हुई है। बाघ, एशियाई हाथी और भारतीय गैंडे इस क्षेत्र की प्रमुख तीन प्रजातियां हैं।
साल 2012 में स्थापित नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य हल्द्वानी वन प्रभाग में गोला और शारदा नदियों के बीच फैला हुआ है। यह 269.96 किमी वर्ग के क्षेत्र में फैला हुआ है। उत्तराखंड के नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य को नेपाल के ब्रह्मदेव और सुखलाफता वन्यजीव अभ्यारण्यों, रामनगर के पश्चिमी जंगलों और भारत में तराई वन प्रभाग के बीच की कड़ी माना जाता है।
नंधौर परिदृश्य एक आरक्षित वन था, जिसको भारतीय पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया था। नंधौर मुख्य रूप से एक नामचीन जंगल है जो कि साल 2002 के बाद से शिवालिक हाथी रिजर्व का एक हिस्सा भी रहा है। साल 2004 में भारतीय वन्यजीव संस्थान ने नंधौर को एक संभव निवास स्थान के रूप में मान्यता दी थी। यह अभयारण्य तराई आर्क लैंडस्केप का एक हिस्सा है जो भारत में उत्तराखंड से नेपाल तक फैला हुआ है।
नंधौर प्राकृतिक रूप से समृद्ध स्थान है। नंधौर वन्यजीव अभयारण्य में 100 से अधिक प्रजातियों के पेड़ पाएं जाते हैं, 30 से अधिक झाड़ियों की प्रजातियों को देखा जाता है और इसके साथ ही लगभग 35 प्रजातियों के घास और पर्वतारोहियों के घर हैं।
नंधौर में पक्षियों की 250 से अधिक प्रजातियां देखने को मिलती हैं, वहीं सरीसृपों की 15 प्रजातियों और मछलियों की 20 प्रजातियों का भी यहां अधिक जमावड़ा है। नंधौर में प्रमुख स्तनधारी प्रजातियों में एशियाई हाथी, तेंदुए, बाघ और सुस्त भालू शामिल हैं।
नंधौर को तीसरा वाइल्डलाइफ बनाने की सिफारिश
दुनियाभर में बाघों की आबादी खतरे में हैं। उत्तराखंड में 215 बाघों के साथ अन्य बाघों की प्रजाति को बचाने का प्रयास जारी है। जिसके साथ ही हाल ही में एनटीसीए यानि नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य को तीसरा टाइगर रिजर्व बनाने की सिफारिश पेश की।
एनटीसीए के मेमोरियल सेक्रेटरी के अनुसार, नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य बाघों के संरक्षण के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
नंधौर नदी के पास स्थित नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य में बाघों की बढ़ती संख्या को देखते हुए बांघों के संरक्षण के लिए अधिकारियों ने इस नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य का दर्जा बढ़ाकर इसे टाइगर रिजर्व में बदलने की सिफारिश जारी की थी।
अभ्यारण के निदेशक एनएन पांडे के अनुसार, साल 2012 में जब नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य की स्थापना की गई थी तब बाघों की संख्या केवल नौ थी, लेकिन साल 2018 में यह संख्या बढ़कर 27 हो गई। इसके अलावा वर्तमान तक इन संख्याओं का आंकड़ा बढ़ने की संभावना है।
यह विचार किया गया है कि, नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य में बाघों की संख्या बढ़ रही है। पिछले कुछ वर्षों में बढ़ती बाघों की संख्या का यह संकेत है कि अपने सीमित संसाधनों से अभ्यारण में मौजूद बाघों की संख्या की जिम्मेदारी अच्छे ढंग से उठा पाना मुश्किल होगा।
बाघों के संरक्षण के लिए सीमित संसाधन को बढ़ाना आवश्यक प्रतीत होता है। अभ्यारण्य में बाघों का घनत्व काफी अच्छा है। ऐसे में बाघों को एक आदर्श निवास स्थान देने के लिए वन विभाग को तथा राज्य सरकार को अहम कदम उठाने चाहिए।
नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य में जीप सफारी शुरू करने की भी सिफारिश
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की तर्ज पर ही उत्तराखंड के नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने के साथ ही यहां जीप सफारी शुरू करने की भी तैयारी है। पर्यटकों के लिए जल्द ही यहां जीप सफारी का भी आरंभ होने वाला है। जिसके बाद पर्यटकों के लिए नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य एक प्रमुख अभ्यारण के रूप में परिलक्षित होता है।
कैसे पहुंच सकते हैं, नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य
नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य पहुंचने के लिए तीन प्रकार के रास्ते हैं, एक तो आप हवाई यात्रा द्वारा नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य पहुंच सकते हैं। इसके अलावा ट्रेन के माध्यम से या सड़क मार्ग से नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य पहुंच सकते हैं।
हवाई यात्रा द्वारा – नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य में पहुंचने के लिए पंतनगर हवाई अड्डा सबसे करीब है। यहां से नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य 39 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से आप आसासी से टैक्सी करके वन्यजीव पहुंच सकते हैं।
ट्रेन यात्रा द्वारा – नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम रेलवे स्टेशन है। काठगोदाम से वन्यजीव अभ्यारण्य की दूरी लगभग 31 किलोमीटर है।
उम्मीद करते हैं कि आपको उपरोक्त लेख के माध्यम से नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी। इसके माध्यम से आपको नंधौर वन्यजीव अभ्यारण्य की समस्त जानकारी प्रदान की गई है।
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