first moss garden

India’s First Moss Garden | जानिए भारत के पहले काई (मॉस) से बने बगीचे के बारे में

नैनीताल में स्थित भारत के पहले मॉस बगीचे के विषय में, जानिए हमारे लेख के माध्यम से

भारत का अद्भुत पर्वतीय क्षेत्र उत्तराखंड राज्य एक पर्यटन स्थल है। जहां का हर क्षेत्र ही बेहद खूबसूरत तथा आकर्षक है। उत्तराखंड में मौजूद नैनीताल जिले में हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक घूमने आते हैं। इसी के साथ ही नैनीताल जिले के लिंगाधार गांव, खुर्पाताल में भारत का पहला मॉस गार्डन भी बनाया गया है। जिसके चलते नैनीताल आकर्षक का मुख्य केंद्र बन चुका है।

भारत देश का यह पहला मॉस गार्डन प्रसिद्ध जल संरक्षण कार्यकर्ता राजेन्द्र सिंह द्वारा किया गया था। जिन्हें वॉटर मेन ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है। यह मॉस गार्डन उत्तराखंड के वन अनुसंधान केन्द्र के लिए बेहद बड़ी उपलब्धि का विषय है।

आइए आज इस लेख के माध्यम से नैनीताल में स्थित भारत के प्रथम मॉस गार्डन के विषय में संपूर्ण जानकारी प्राप्त प्राप्त करते हैं।

क्या आप जानते हैं मॉस क्या है?

Moss

दरअसल, मॉस एक प्रकार की काई है। जो दीवारों तथा पेड़ों पर हरे रंग की पाई जाती है। इस प्रकार की काई का औषधि के रूप में बहुतायत प्रयोग किया जाता है। भारत में कुल 2300 प्रकार की मॉस काई की प्रजाति पाई जाती है, जिसमें से 339 मॉस की प्रजाति उत्तराखंड के अन्तर्गत पाई जाती है। 

आपको बता दें, इस मॉस गार्डन में मॉस गैर संवहीन पौधे हैं जो ब्रायोफाइट डिवीजन से संबंधित हैं। यह पौधे आमतौर पर नम तथा छायादार स्थानों पर अधिक उगते हैं। यह पौधे मृदा गठन, जल प्रतिधारण, कटाव की जांच और पोषक तत्व सिंक के रूप में कार्य करने के साथ ही पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता को बनाए रखने तथा विकसित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

वन संसाधन के मुताबिक दुनिया में काई की उत्पत्ति सबसे पहले हुई थी, जिसकी खास विशेषता यह है कि यह जिस स्थान पर होती है उसी के अनुसार के खनिज का रंग ग्रहण कर लेती है। आपको बता दें, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आयरलैंड के सैनिकों ने इसका उपयोग एंटीसेप्टिक के तौर पर भी किया था।

भारत के पहले मॉस गार्डन के विषय में

Moss Garden

भारत का यह पहला मॉस गार्डन खुर्पाताल में स्थित है। जो कि साल 2019 में एक स्वीकृत परियोजना के तहत विकसित किया गया था। इस योजना का नाम CAMPA योजना है।

इस योजना का उद्देश्य  विभिन्न प्रकार की काई की प्रजातियों तथा अन्य ब्रायोफाइट्स का संरक्षण करना था। इसके साथ ही समाज के नागरिकों को पर्यावरण में मौजूद मॉस की पारिस्थितिक और अन्य उपयोगी भूमिकाओं के विषयों से अवगत कराना था।

भारत देश का यह पहला मॉस गार्डन 10 हेक्टेयर में फैला हुआ है, जिसमें एक व्याख्या केंद्र, 30 प्रतिनिधि मॉस प्रजातियां और अन्य ब्रायोफाइट प्रजातियां हैं। जिनमें IUCN रेड लिस्ट में सूचीबद्ध दो प्रजातियां (Hyophila involuta और Brachythecium bhanhanani) शामिल हैं और यहां 1.2 किलोमीटर के क्षेत्र में ‘मॉस’ की विभिन्न प्रजातियां हैं और इनके सबंध में वैज्ञानिक जानकारी भी प्रदर्शित की गई है।

जापान में मॉस को विशेष महत्व दिया जाता है, यही कारण है कि जापान में कई मॉस गार्डन है, जहां विभिन्न प्रकार की काई वनस्पतियों का प्रदर्शन किया जाता है। इसके अलावा भारत में पहला मॉस गार्डन नैनीताल में बनाया गया है।

मॉस गार्डन की खूबियां

India gets its first-ever moss garden in Uttarakhand’s Nainital district
  • मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी के मुताबिक नैनीताल शहर सड़ियताल क्षेत्र में यह मॉस गार्डन 10 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित किया गया है।

  • इसके साथ ही यहां इस गार्डन में मॉस की 28 और लीवरवट की पांच प्रजातियां विकसित की गई हैं।

  • इस मॉस गार्डन में 1.2 किलो मीटर लंबी एक मॉस ट्रेन भी बनाई गई है। जिसमें इसकी तमाम प्रजातियों को प्रदर्शित करने के साथ ही इसके संबंध में कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी प्रदर्शित की गई हैं।

  • इस मॉस गार्डन में एक सूचना केंद्र भी बनाया गया है। इसके साथ ही इसमें प्रथम विश्व युद्ध की एक पेंटिंग भी लगाई गई है। इस पेंटिंग में युद्ध के दौरान घायल सैनिकों के उपचार में मॉस का उपयोग होते दिखाया जा रहा है।

  • इसी सूचना केंद्र के अंतर्गत मॉस के बने आभूषण भी आकर्षण का केंद्र हैं। जापान में इस प्रकार के आभूषण बेहद प्रसिद्ध हैं।

  • इसके अलावा इस मॉस गार्डन में मॉस की प्रजातियों के जीवाणु एवं कीटाणु रोधी गुणों और वायु प्रदूषण के संकेतक प्रजाति के रूप में उपयोग के भी मॉडल दर्शाए गए हैं।

उत्तराखंड राज्य के वन विभाग की अनुसंधान इकाई के प्रमुख संजीव चतुर्वेदी ने कहा कि उद्यान विकसित करने के पीछे मुख्य उद्देश्य ‘मॉस’ और अन्य ब्रायोफाइट्स की विभिन्न प्रजातियों का संरक्षण करना है और पर्यावरण में इसके महत्व से समाज के लोगों को परिचित कराना है।

नैनीताल में स्थित मॉस गार्डन, खुर्पाताल में मॉस की लगभग 30 विभिन्न प्रजातियां और कुछ अन्य ब्रायोफाइट प्रजातियां भी शामिल हैं। उन्होंने यह भी बताया कि यहां दो प्रकार की मॉस प्रजातियां पाई जाती हैं, ह्योफिला इन्वोल्टा (सीमेंट मॉस)।

जो कि प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) की लाल सूची में शामिल ब्राचिथेलेशियम बुकानानी फिगर है। उन्होंने कहा कि यहां 1.2 किलोमीटर के क्षेत्र में ‘मॉस’ की विभिन्न प्रजातियां हैं और इनके सबंध में वैज्ञानिक जानकारी भी प्रदान की जाती है।

भारत के लिए यह गर्व की बात है कि देश में पहली बार उत्तराखंड राज्य के नैनीताल में मॉस गार्डन की स्थापना हुए। यह मॉस गार्डन देश के पर्यटकों के लिए भी खोला जाता है। जिससे उत्तराखंड का पर्यटक स्तर भी बढ़ता नजर आ रहा है।

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