Dhari Devi Mandir

Dhari Devi Mandir: उत्तराखंड का वो मंदिर जहां मां बदलती हैं दिन में तीन रूप, जानिए यहां की रोचक कहानी

About Dhari Devi Mandir

धारी देवी मंदिर का परिचय – Introduction of Dhari Devi Mandir

भारत में प्राचीन व रहस्यमयी मंदिरों तथा तीर्थ स्थलों की भरमार है। ऐसे ही पूजनीय रहस्यमयी मंदिरों में से एक है उत्तराखंड के श्रीनगर में विराजमान माँ धारी देवी का मंदिर [Dhari Devi Mandir]। यह मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर, श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है, और माना जाता है कि धारी देवी माँ यहाँ रह कर उत्तराखंड के सभी चार धामों की रक्षा करती हैं। यह कल्याणी माता माँ काली का मंदिर है जो धारी देवी के रूप में यहाँ स्थित हैं। इस मंदिर में द्वापर युग से माता का शीश स्थापित है और माता के धड़ का हिस्सा कालीमठ में स्थित है जहाँ उन्हें माँ काली के रूप में पूजा जाता है।

माता कल्याणी का यह भव्य देवालय उत्तराखंड के कल्याणसौर इलाके में है, तथा माता को धारी देवी उपनाम पास में ही बसे धारी गाँव के नाम पर दिया गया है। सातवीं शताब्दी में जगतगुरु शंकराचार्य ने इस जगह से गुज़रने के दौरान धारी देवी की की पूजा-अर्चना की थी। उनसे पूर्व पांडवों ने भी यहाँ आराधना की थी। यहाँ पास ही द्रौपदी शिला हुआ करती थी जहाँ द्रौपदी ने स्नान किया था, जो अब जलमग्न हो गई है अर्थात, जल स्तर के नीचे जा चुकी है। वैसे तो साल भर यहाँ यात्रियों का आना-जाना लगा रहता है, किंतु चार धाम यात्रा तथा नवरात्री के समय मंदिर में श्रद्धालुओं का ताँता लग जाता है, और यह दृश्य देखने लायक होता है। मंदिर तक पहुँचने का रास्ता पक्की सड़कों तथा नदी के ऊपर बने सेतु के निर्माण के पश्चात अब दुर्गम नहीं रह गया है और असानी से माँ धारी देवी के दर्शन प्राप्त किये जा सकते हैं। 

धारी देवी मंदिर का इतिहास – History of Dhari Devi Mandir

पौराणिक कथाओं के अनुसार धारी देवी ने द्वापर युग में धरती पर एक परिवार में, सात भाइयों की एक मात्र बहन के रूप में जन्म लिया। इस कन्या के जन्म लेते ही उनकी माँ और पिता का निधन हो गया, इसलिए सातों भाइयों ने ही कन्या का भरण-पोषण किया। परंतु एक दिन उसे कन्या के भाइयों को यह ज्ञात हुआ कि उनकी बहन के ग्रह-नक्षत्र इसके भाइयों के लिए अशुभ सिद्ध होंगे। इसी कारणवश वे सातों भाइयों का प्रेम अपनी बहन के लिए समाप्त हो गया। एक दिन उनमें से पाँच अविवाहित भाइ अकस्मात मृत्यु को प्राप्त हो गए। यह देखकर बाकी दोनों विवाहित भाइयों को लगने लगा कि यह सब उनकी बहन के कारण ही हुआ है।

इसलिए उन दोनों ने अपनी बहन की हत्या करने की योजना बनाई और रात्री में उन्होंने सोती हुई कन्या का सर धड़ से अलग कर दिया तथा उसका मृत शारीर गंगा में प्रवाहित कर दिया। प्रातः काल पास के गाँव का एक व्यक्ति नदी किनारे स्नान हेतु आया और तभी उसे नदी में उस कन्या का शीश दिखाई दिया। उसे लगा कि वह कन्या नदी में डूब रही है परंतु नदी के जल का स्तर और प्रवाह अधिक होने के कारण वह नदी में उतर कर कन्या को बचाने से डर रहा था। तभी उसे उस कन्या की ओर से एक दैवीय वाणी सुनायी दी, जिसने उस व्यक्ति को डूब रही कन्या को बचाने का निर्देश दिया और उसकी सुरक्षा हेतु सीढ़ियाँ बनाने का आश्वासन दिया।

देखते ही देखते नदी में सीढ़ियाँ उत्पन्न हो गईं। जब उस व्यक्ति ने कन्या को बाहर निकालने का प्रयास किया तो उसने जाना कि यह सिर्फ कन्या का शीश मात्र है और वह भयभीत हो गया। उसी समय कन्या के शीश ने उससे व्यक्ति को बताया कि वह शक्ति का रूप है और उसके शीश को पास की शिला पर स्थापित करने का आदेश दिया। उससे व्यक्ति ने ऐसा ही किया और तभी से यहाँ धारी देवी की आराधना होने लगी। 

1965 से पहले मनोकामना पूर्ण होने पर भक्तजन मंदिर में उग्र साधना करते थे और पशुओं की बलि डिगा करते थे। मंदिर के पुरोहित के अनुसार देवी माँ ने उन्हें स्वप्न में दर्शन देकर इस बलि प्रथा को रोकने का आदेश दिया, जिसके बाद बलि प्रथा सदैव के लिए बंद करवा दी गई। अब मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु यहाँ आकर मंदिर में घंटे बांधा करते हैं और देवी को धन्यवाद देते हैं।

धारी देवी मंदिर का रहस्य – Mystery of Dhari Devi Mandir

धारी देवी के मंदिर में रखी मूर्ति से जुड़े श्रद्धालुओं द्वारा आँखों देखे चमत्कार के लिए यह मंदिर विश्व भर में प्रसिद्ध है। श्रद्धालुओं का कहना है कि मंदिर में रखी देवी माँ की मूर्ति दिन में तीन बार रूप बदलती है। प्रातः काल मूर्ति में एक बालिका का रूप दिखाई पड़ता है, दोपहर होते होते, जब सूर्य सर पर होता है तो मूर्ति में एक युवती का रूप दिखाई पड़ता है और शाम होने पर मूर्ति में एक प्रौढ़ स्त्री का रूप प्रत्यक्ष होता है। इस मंदिर में स्थापित काली माँ की मूर्ति, शाँत स्वरूप में माता काली की एक मात्र प्रतिमा है।

स्थानीय लोगों का मानना है कि 2013 में उत्तराखंड के इस इलाके में आयी आपदा का कारण माँ धारी देवी की प्रतिमा को सरकार तथा बाँध का निर्माण करने वाली कंपनी द्वारा उनकी जगह से विस्थापित किया जाना ही था। दरअसल सरकार इस स्थान पर हाइड्रो पावर प्लांट स्थापित करने का प्रस्ताव लेकर आयी थी जिसके लिए नदी पर बाँध का निर्माण करना अवश्यक था परंतु इसके कारण पर्यावरण को बहुत नुकसान होने वाला था। स्थानीय लोगों की श्रद्धा और मर्ज़ी के विरुद्ध, कई आंदोलनों को नज़रअंदाज़ करते हुए ज़मीन का एक बड़ा हिस्सा लेने के बाद कंपनी ने धारी देवी मंदिर [Dhari Devi Mandir] की ज़मीन का इस्तेमाल करने की कोशिश की।

और बाँध के निर्माण के लिए मूर्ति को विस्थापित कर दिया, जिसके दो घंटे बाद ही जल स्तर बढ़ने लगा, बादल फटने लगे और सम्पूर्ण शहर पर कहर टूट पड़ा। हज़ारों लोगों अपनी जान गंवा बैठे। मंदिर के पुरोहित ने किसी तरह मूर्ति को डूबने से बचा लिया। उनका कहना है कि माता प्रकृति का ही स्वरूप हैं, और अगर मनुष्य प्रकृति का अपमान करेंगे तो इसका अंजाम सभी को भुगतना ही होगा। 

सारांश

इस उल्लेख में हमने उत्तराखंड के प्रसिद्ध धारी देवी मंदिर से जुड़ी सभी महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ सम्मिलित करने का प्रयास किया है। परंतु इन जानकारियों का प्रमाण मंदिर के दर्शन करके ही मिल सकता है। धारी देवी मंदिर [Dhari Devi Mandir] में जो भक्त मन में श्रद्धा लेकर जाते हैं उनकी मनोकामना माता अवश्य ही पूरी करतीं हैं।

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