Bedni Kund बेदनी बुग्याल के पहाड़ पर स्थित घास के मैदानों का एक हिस्सा है, जो उत्तराखंड के चमोली जिले में 20 वर्ग किमी में फैला है। ये हिमनद झील या कुंड समुद्र तल से लगभग 11,004 (3,354 मीटर) फीट की आश्चर्यजनक ऊंचाई पर स्थित है।
ये कुंड अली बुग्याल के बहुत ही पास स्थित है और इसे एशिया के सबसे बड़े घास के मैदानों में से एक माना जाता है। इसके पास के शहर नैनीसैंण, कंदारा, खत्यारी, सिमली और कौसानी आदि हैं। क्या आप जानते हैं कि बेदनी कुंड को वैतरणी झील के नाम से भी जाना जाता है। इस कुंड के चारों तरफ आपको हरी हरी मखमली बु
ग्याल नज़र आयेगी जो इस कुंड की शोभा को और भी अधिक बढ़ा देती है। इस बेदनी कुंड का पौराणिक महत्व भी है। ये कुंड दुर्लभ ब्रह्म कमल फूल के लिए बहुत प्रसिद्ध है, और नंदा देवी राज जाट यात्रा के दौरान एक मुख्य पड़ाव भी है। हर साल आयोजित होने वाली श्री नंदा देवी की लोक जात यात्रा का बेदनी कुंड में ही आकर समापन होता है। इस कुंड में नहाने के बाद ही मां नंदा देवी को कैलाश के लिए विदा किया जाता है।
बेदनी कुंड का पौराणिक महत्व
इस कुंड के पौराणिक महत्त्व के साक्ष्य इस कुंड पास के पास ही स्थित है भगवान शिव, माँ नंदादेवी (पार्वती) और उनके भाई लाटू देवता के भव्य और प्राचीन मंदिर स्थित हैं। इस कुंड में नंदा घुंटी और त्रिशूल पर्वत का प्रतिबिंब तो देखते ही बनता है,
वाह! अद्भुत ये दृश्य देखने में ही इतना मनोरम और मनोहारी लगता है की दिल करता है बस देखते ही जायें। बहुत सुंदर सुंदर यहाँ के जानवर, पक्षी, पेड़ पौधे आदि देखने मे बहुत उत्कृष्ट और लुभावने लगते हैं। यहाँ का प्रत्येक दृश्य आपको देखने में अद्भुत और अनोखा लगेगा।
आपको बात दें कि बेदिनी कुंड नंदा राजजात का एक बहुत अहम पड़ाव भी है और 12 साल में आयोजित होने वाली राजजात की पहली पूजा यहीं पर इसी स्थान पर होती है। इसके साथ ही इस नंदा राजजात यात्रा का समापन भी यहीं पर आकर होता है। ये राजजात यात्रा एक अनुष्ठान जुलूस है। इसकी यात्रा नंदा देवी पर्वत तक की होती है।
लोग वहाँ जाकर नंदा देवी यानी कि देवी पार्वती की सच्चे हृदय से पूजा अर्चना करते हैं और अपना मनोवांछित वर प्राप्त करते हैं। ये यात्रा प्रत्येक 12 साल में एक बार होती है। सभी ट्रेकर्स प्रसिद्ध रूपकुंड ट्रेक का भी मजा ले सकते हैं, ये भी बुग्याल ट्रेकिंग टूर के दौरान रास्ते में ही मिलता है। रूपकुंड ट्रेक भी सभी यात्रियों के मध्य बहुत प्रसिद्ध है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मां नंदा देवी को उत्तराखंड की सबसे मुख्य आराध्य देवी के रूप में माना जाता है इसलिए हर 12 वर्ष में माँ नंदा देवी की राज पात यात्रा का बहुत ही भव्य आयोजन किया जाता है। इस आयोजन में गढ़वाल व कुमाऊं दोनों मंडलों से नंदा देवी की सैकड़ों हजारों डोलियाँ शामिल की जाती हैं।
उच्च हिमालयी क्षेत्रों में होने वाली ये पूरे विश्व की सबसे लंबी पैदल धार्मिक यात्रा होती है। इस यात्रा में शामिल सभी भक्तजन बेदनी बुग्याल में स्थित बेदिनी कुंड में स्नान करने के पश्चात ही हेमकुंड के लिए रवाना होते हैं।
Bedni Bugyal की लुभावनी प्रकृति

बेदनी कुंड, बेदनी बुग्याल (यहाँ होने वाली मखमली घास को बुग्याल कहते हैं।) उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में गढ़वाल और कुमाऊं की सीमा पर स्थित सबसे खूबसूरत पहाड़ी घास के मैदानों में से एक है। यहाँ से शक्तिशाली त्रिशूल पर्वत (7120 मीटर) का सबसे अद्भुत नजारा देखने को मिलता है।
पहाड़ों की अद्भुत ऊंचाई पर स्थित बेदनी बुग्याल प्रकृति के अनेकों रंगों और बहुत से वैभवों को खुद में समेटे हुए है और इसे गढ़वाल के पहाड़ों में अपनी 3,354 मीटर की अद्भुत ऊंचाई के साथ घास के मैदानों की सबसे अच्छी ऊंचाई में माना जाता है, जो वसंत ऋतु के आने पर जंगली बहुत ऊंचाई वाले फूलों और जड़ी-बूटियों के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध है।
बेदनी बुग्याल का ये खूबसूरत घास का मैदान आगंतुकों के लिए सबसे यादगार होता है। यहाँ से सूर्यास्त और सूर्योदय का मनमोहक दृश्य मन को बहुत सुकून देता है। यहाँ आकर आप एक विचित्र सी शांति का अनुभव करते हैं। सूर्योदय के साथ यहाँ के सुंदर-सुंदर पहाड़ों, खूब गहरी घाटियों, ऊंचे पहाड़ों, त्रिशूल और नंदा घुंटी के सबसे विशाल पश्चिमी किनारों को देखने के लिए सबसे आकर्षक ट्रेक है।
ऐसा भी कहना कुछ गलत नहीं होगा कि ये धरती पर स्वर्ग के समान है। बेदनी बुग्याल में ट्रेकिंग ट्रेकर्स को उत्तराखंड के सबसे ऊंचे बुग्याल तक ले जाएगी। जिन लोगों को एडवेंचर बहुत पसंद है उनके लिए ये सबसे उचित स्थान है। बुग्याल का अर्थ बहुत अधिक ऊंचाई वाले घास के मैदान पर स्थित मखमली घास से है।
बेदनी बुग्याल के मखमली, गद्दीदार ट्रेक के साथ सबसे सुंदर और हरे-भरे वातावरण में ट्रेकिंग करने का एक अलग ही मजा है। आपको बता दें कि बेदनी कुंड जोकि ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व से परिपूर्ण है, पर इस समय बहुत बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
दरअसल इस कुंड का पानी वर्तमान समय में पूरी तरह से सूख चुका है। जिससे की पर्यावरण प्रेमियों को बहुत दुख हो रहा है। इस कुंड के पानी का पूरी तरह से सूख जाने का सबसे बड़ा कारण ग्लोबल वॉर्मिंग को माना जा रहा है।
इसके अलावा आपको बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में भूस्खलन के चलते इस कुंड के पानी के लगातार रिसने से भी इस कुंड का आकार लगातार छोटा होता जा रहा है। जबकि वन विभाग का ऐसा कहना है कि इस वर्ष कम बर्फबारी होने के कारण बेदनी कुंड के पानी में इतनी अधिक गिरावट आई है।
ऐसा माना जा रहा है कि इस साल चमोली जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बहुत कम बर्फबारी हुई है। जिसका सबसे अधिक असर बेदनी कुंड पर पड़ा है। पहले पर्याप्त मात्रा में बर्फबारी होती थी इसकारण से बेदनी कुंड गर्मियों में भी पानी से लबालब भरा रहता था।
लेकिन इस वर्ष बर्फबारी बहुत अधिक कम हुई है। लेकिन ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि बरसात के मौसम में इस कुंड की स्थिति फिर से सामान्य हो जाएगी।
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