विश्व भर में अनेकों तीर्थ स्थल हैं जहाँ हमें प्रकृति की सुंदरता तो देखने को मिलती ही है साथ ही साथ मन को शांति और आनंद की अनुभूति भी होती है। वहीं जब भी उत्तराखंड का जिक्र होता है तो सबसे पहले हमारे मस्तिष्क में पर्यटन का विचार आता है और आये भी क्यों न, यहां की प्राकृतिक सुंदरता है ही ऐसी कि किसी का भी मन मोह ले।
तो अब हम उत्तराखंड की एक ऐसी ही जगह के विषय में जानेंगे जिसकी खूबसूरती की जितनी बात करें उतना ही कम है। दरअसल, हम बात कर रहे हैं कसार देवी मंदिर की।
ये मंदिर उत्तराखंड के छोटे-से शहर अल्मोड़ा के निकट अल्मोड़-बागेश्वर हाईवे पर कसार नामक गाँव में स्थित मां दुर्गा का प्राचीनतम मंदिर है। कश्यप पहाड़ी की चोटी पर एक गुफा-नुमा स्थान पर बना ये मंदिर लगभग दूसरी शताब्दी में निर्मित किया गया था। अल्मोड़ा से ये लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ माँ दुर्गा के साथ अनेकों देवियों को पूजा जाता है।
लोगों का कहना ये भी है कि इस स्थान पर देवी दुर्गा प्रकट हुई थी। मंदिर में देवी कात्यायनी की भी पूजा होती है, जो माँ दुर्गा के 8 स्वरूपों में से एक हैं।
उपस्थित है खास चुंबकीय शक्तियां
आपको बता दें कि ये मंदिर चुंबकीय शक्तियों से समृद्ध है तथा वैज्ञानिकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। कसारदेवी मंदिर के आसपास का पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है,जहाँ धरती के गर्भ में विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। कसार देवी मंदिर की अथाह शक्तियों से बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी अचंभित हैं, यहाँ पर अनेकों वैज्ञानिक शोध चलते रहते है।
बीते कुछ सालों से नासा के वैज्ञानिक इस बैल्ट के बनने के कारणों की खोज में जुटे हैं। इस वैज्ञानिक अध्ययन में ये भी ज्ञात किया जा रहा है कि प्रकृति और मानव मस्तिष्क पर इस चुंबकीय पिंड का क्या प्रभाव पड़ता है।
ध्यान-साधना का है केंद्र
ये मंदिर ध्यान और साधना का अनुपम केंद्र बन हुआ है। यदि आपको शांतिपूर्ण वातावरण बहुत प्रिय है, तो आप एक बार यहाँ दर्शन करने के लिए ज़रूर जाएं। लोगों को इस स्थान पर मानसिक तथा आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति होती है।
1890 के दशक में महान भारतीय संन्यासी ‘स्वामी विवेकानंद जी’ भी इस स्थान पर ध्यान के लिए कुछ महीनों के लिए आए थे, कालीघाट में स्वामी जी को विशेष ज्ञान की अनुभूति हुई थी जो अल्मोड़ा से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ गुफा में रहकर बौद्ध गुरु ‘लामा अनग्रिका गोविंदा’ ने भी उत्तम साधना की थी।
मंदिर से जुड़ी कुछ धारणाएं
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में प्राचीन काल में देवी दुर्गा अवतरित हुई थीं। इस स्थान पर देवी दुर्गा ने अपने कात्यायनी स्वरुप को धारण करके दैत्यों का संहार किया था। तब से ये स्थान अत्यंत पावन माना जाता है। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि ये मंदिर 1970 से 1980 तक दक्ष सन्यासियों का आवास हुआ करता था।
मंदिर का अतुलनीय सौंदर्य
यहाँ प्रकृति के जिस अतुलनीय सौंदर्य के दर्शन होते हैं, उसका अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता है। साथ ही साथ उत्साह और आनंद की अनुभूति होती है। यहाँ दर्शन करने आये श्रद्धालु भक्तों के ऐसे भाव भी हैं कि सैकड़ों सीढ़ियां चढ़ने के बाद भी मन में उत्साह बना रहता है और कोई थकावट नहीं होती, मंदिर की संरचना बहुत ही साधारण और खूबसूरत है।
पहाड़ों के बीच बने इस मंदिर में अकथनीय सौंदर्य को लिए माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित है। माता की मूर्ति के पीछे पत्थर पर शेर की आकृति भी बनी हुई है।
होता है मेले का आयोजन
कसार देवी मंदिर का बहुत ही विशेष अध्यात्मिक महत्व है। ये मंदिर भारत के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से है। हर साल इस मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर कसार मेला लगता है। इस मेले को देखने हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ इकठ्ठा होती है। इस मेले का महत्व केवल देश ही नहीं अपितु विदेशी स्तर पर भी है।
हर साल अनेकों पर्यटक अनंत उमंग से भर कर यहाँ दर्शन के लिए आते है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता ही इतनी अनूठी है कि हर प्रकृति प्रेमी यहां आना चाहता है।
कैसे जाएँ कसार देवी मंदिर
▪️सड़क मार्ग द्वारा- सड़क मार्ग से कसार देवी मंदिर के लिए प्रस्थान करना बहत ही सुगम है, हल्द्वानी, भीमताल और भवाली होते हुए अल्मोड़ा के रास्ते कसार देवी मंदिर पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से कसार देवी के बीच की दूरी 380 किलोमीटर है। दिल्ली से कसार देवी अल्मोड़ा के लिए डायरेक्ट बस मिलती है।
▪️रेल मार्ग द्वारा- यहाँ का निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है,जहाँ से अल्मोड़ा के लिए बस और टैक्सी की सुविधा उपलब्ध हो जाती है।
▪️हवाई मार्ग द्वारा- अल्मोड़ा,कसार देवी मंदिर आने के लिए करीबी हवाई अड्डा पंतनगर है। जो हल्द्वानी शहर से लगभग 27 किलोमीटर की दूरी पर है। अल्मोड़ा,हल्द्वानी से लगभग 94 किलोमीटर की दूरी पर है। यह दूरी बस,टैक्सी या निजी वाहन से तय की जा सकती है।
होटलों की सुविधा
अगर आप चाहे तो शहर में ही होटल बुक कर सकते हैं,नहीं तो कसार देवी में भी रिसोर्ट,होटल्स तथा होम स्टे की सुविधा उपलब्ध है। यदि आप किसी अन्य जगह से आ रहे हैं या फिर अगर अल्मोड़ा में स्टे करने का विचार है तो होटल रूम की ऑनलाइन अग्रिम बुकिंग कर लेना उचित रहेगा।
कब जाये दर्शन के लिए
कसार देवी दर्शन के लिए आने का सही मजा सर्दियों के मौसम में है। अधिकतम लोग नवंबर से जनवरी के बीच यहाँ के दर्शन करने आते हैं। सर्दियों में अल्मोड़ा के पहाड़ और रास्ते पूरी तरह से बर्फ की सफेद चादर से ढक जाते हैं। यदि आप चाहे तो गर्मी के मौसम में भी घूमने की योजना बना सकते हैं।
प्रतिवर्ष अनेकों देशों से लोग यहाँ शांति प्राप्ति के लिए आते रहते हैं तथा कुछ माह तक ठहरते भी हैं। कसार गांव को हिप्पी गांव भी कहा जाता है। ये गांव घूमने के लिए बहुत ही खास जगह है।
तो अगर आप भी सर्दियों के मौसम में एक ऐसी मनमोहक जगह जाना चाहते हैं जहां ईश्वर के दर्शन के साथ आपको प्राकृतिक सुन्दरता में समय व्यतीत करने मिले तो कसार देवी मंदिर पर आकर आपकी खोज विराम ले लेगी। यही कारण है कि एक बार समय निकालकर आपको उत्तराखंड में स्थित इस मंदिर ज़रूर जाना चाहिए।
आशा करते है आपको यह ज्ञानवर्धक जानकारी अवश्य पसंद आई होगी। ऐसी ही अन्य धार्मिक और उत्तराखंड संस्कृति से जुड़ी पौराणिक कथाएं पढ़ने के लिए हमें फॉलो करना ना भूलें।
Featured image: asianetnews